लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग 9
बैडशीट को अपने कब्जे में लेने के बाद मंगल सिंह पुन: ड्राइंग कम लिविंग रूम में आ गया । उसने कमरे में चारों ओर निगाहें दौड़ाई कि कहीं कोई सुराग और मिल जाये । लिविंग रूम की हालत देखकर हाथापाई होने की संभावना लग रही थी तो छीना झपटी में कुछ न कुछ तो अवश्य गिरा ही होगा ? प्रत्येक अपराधी कोई न कोई सुराग छोड़कर जाता है तो इस हत्यारे ने भी कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ा होगा ?
थानेदार मंगल सिंह अभी यह सोच ही रहा था कि एक सिपाही ने उसका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया
"साहब, उस सोफा के नीचे कुछ गिरा हुआ है"
मंगल सिंह का ध्यान उस सोफा की ओर गया जिसकी ओर वह सिपाही इशारा कर रहा था । मंगल सिंह ने देखा कि सोफा के नीचे कोई कार्ड पड़ा हुआ है जिसका एक कोना बाहर निकला हुआ है जो दिखाई दे रहा है । उसकी बातें खिल गई । जिस सुराग की उसे तलाश थी, शायद वह यही हो ?
उसने बड़ी उम्मीद के साथ वह कार्ड सोफा के नीचे से निकलवाया तो वह एक आधार कार्ड निकला । मंगल सिंह उसे पढने लगा । उस पर नाम राहुल लिखा हुआ था । बाप का नाम संजय था । उम्र 32 वर्ष अंकित थी । फोटो बड़ी काली और अस्पष्ट थी । अधिकतर आधार कार्ड की फोटो इसी तरह की होती हैं । मृतक की उम्र भी लगभग इतनी ही थी जितनी आधार कार्ड में राहुल की लिखी हुईथी । चूंकि लाश का चेहरा विकृत था इसलिए उसके चेहरे का आधार कार्ड के फोटो से मिलान करना बेकार था । तो क्या मृतक राहुल वल्द संजय ही है जैसा कि आधार कार्ड में लिखा है ? उसमें पता अर्थला, नोएडा लिखा था ।
आधार कार्ड मिलने के बाद मंगल सिंह के होठों पर एक स्मित मुस्कान खिल गई मानो उसने इस हत्या की गुत्थी को सुलझा लिया हो । उसके होंठ अनायास ही गोल हो गए और वे सीटी बजाने लगे । जब वह कोई केस सॉल्व कर लेता है तो उसके होंठ स्वतः ही सीटी बजाने लगते हैं । जिसका कत्ल हुआ है उसकी पहचान पता चल गयी है इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ? रही बात कातिल की तो वह इसी घर का कोई व्यक्ति ही है चाहे वह सक्षम हो , अक्षत हो या अनुपमा हो या एक से अधिक लोग हों , तो केस सॉल्व हुआ ही समझो । हत्या का कारण भी शीघ्र ही पता चल ही जाएगा । मंगल सिंह जानता था कि पुलिस की मार में वह ताकत होती है जो गूंगों से बुलवा लेती है , अंधों से दिखवा लेती है , बहरों से सुनवा लेती है और अपंगों को भी दौड़ा देती है । पुलिसिया मार से तो पत्थर भी बोलने लग जाते हैं फिर इन्सानों की तो बात ही क्या है ? जब पुलिस की मार पड़ेगी तो फिर वह सक्षम हो या अक्षम, सब बोलने लगेंगे । अनुपमा हो या मनोरमा , सब भरतनाट्यम करने लगेंगे और अक्षत हो या रजत , सब भ॔गड़ा करते दिखेंगे । मंगल सिंह को भांगड़ा करवाने में महारथ हासिल थी ।
मंगल सिंह ने लिविंग रूम और दूसरे कमरों का फर्नीचर हटवा कर देख लिया , मगर और कोई सुराग हाथ नहीं लगा । पूरे घर की तलाशी हो गई थी लेकिन अक्षत का कमरा अभी रह गया था । मंगल सिंह अक्षत के कमरे की तलाशी लेता उससे पहले उसने थाने फोन कर राहुल के आधार कार्ड की फोटो एक ASI को भेज दी और उस पते पर जाकर राहुल के बारे में जानकारी करने को कहा ।
थानेदार मंगल सिंह सक्षम , अनुपमा और कुछ पुलिस कर्मियों को साथ लेकर ऊपर छत पर अक्षत के कमरे के ठीक सामने आ गया और सक्षम से कहने लगा
"ताला खोलिए सक्षम साहब । बहुत बहाने बना लिए आप लोगों ने चाबी नहीं होने के । क्यों मैडम ? बुलवा लिया उस लौंडे को" ? जानबूझकर मंगल सिंह ने ऐसी भाषा का प्रयोग किया जिससे अनुपमा की बेइज्जती हो । अनुपमा का अपमान करने में उसे आनंद आ रहा था । अनुपमा ने कुछ नहीं कहा । वह खून का घूंट पीकर नीची नजरें किए खड़ी रही ।
"कोई नहीं आ रहा हो तो तोड़ दें इस ताले को ? आखिरी बार पूछ रहा हूं आपसे" ? मंगल सिंह की आंखों से चिंगारियां निकल रही थीं । वह अनुपमा को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था ।
"तोड़ दो" यह आवाज सक्षम की थी । मंगल सिंह का इस तरह का व्यवहार सक्षम को खल रहा था । उसे लाश से भी ज्यादा भारी मंगल सिंह लग रहा था । वह उससे जल्द छुटकारा पाना चाहता था । उससे छुटकारा पाने का यही एक रास्ता था ।
ताला तोड़ दिया गया । खून के छींटे फर्श पर भी पड़े हुए थे जो इस बात की गवाही दे रहे थे कि हत्यारा इस कमरे में भी आया था । हत्यारा अक्षत के कमरे में क्यों आया ? ये बात कमरे की तलाशी के बाद पता चलने की संभावना थी ।
कमरे की तलाशी प्रारंभ हो गई । जैसा कि हर बैचलर का कमरा होता है , वैसा ही हाल अक्षत के कमरे का था । सब कुछ अस्त व्यस्त फैला पसरा पड़ा हुआ था । बैड पर कपड़े बिखरे हुए पड़े थे । बैडशीट भी बहुत गंदी हो रही थी । न जाने कब की धुली थी वह । बर्तन भी सिंक में झूठे पड़े हुए थे । बाकी का सामान बेतरतीब सा कमरे में बिखरा पड़ा हुआ था ।
वार्डरोब का ताला लगा हुआ था इसलिए वह खुली नहीं । वार्डरोब की तलाशी लेना बहुत आवश्यक था इसलिए उसका ताला खोलने के लिए किसी एक्सपर्ट को बुलवाया गया तब तक मंगल सिंह ने बैड के नीचे की तलाशी ले ली । वहां से कुछ नहीं मिला उसे । उसने फिर बैडशीट हटाई और गद्दे भी हटाये । गद्दे हटते ही सबकी आंखें उस समय चौंधिया गईं जब वहां से एक तेज धार वाला चाकू (चॉपर) बरामद हुआ । उस पर खून भी लगा हुआ था जो चाकू पर जम गया था । सक्षम और अनुपमा को अक्षत के कमरे से खून में सना चाकू बरामद होने से भयानक आश्चर्य हुआ था । क्या खून अक्षत ने किया है ? यह लाख टके का सवाल था पर अक्षत ने खून क्यों किया ? यह उससे भी बड़ा सवाल था । अब शक की सुंई अक्षत की ओर मुड़ गई थी इससे सक्षम ने राहत की सांसें ली थी । जब दो लोगों पर शक हो तो दोनों का बचना आसान हो जाता है । मंगल सिंह ने वह चाकू अपने पास सुरक्षित रख लिया था । उस पर लगे खून की जांच की जानी थी कि वह खून मृतक के खून से मैच होता है या नहीं ? कत्ल करने का हथियार अक्षत के कमरे से बरामद होने के कारण अक्षत भारी मुसीबत में फंस गया था ।
इतने में वार्डरोब का ताला खोलने वाला आ गया । वार्डरोब का ताला खोल दिया गया । उसमें अक्षत के कपड़े रखे हुए थे । कुछ कपड़े धुले हुए प्रेस किये हुए थे तो कुछ गंदे भी थे । थानेदार मंगल सिंह ने एक ड्रायर खोलकर देखा तो उसमें पेन्टिंग बनाने का सामान रखा हुआ था । अक्षत को पेन्टिंग बनाने का बहुत शौक था । वह अक्सर पेन्टिंग बनाया करता था और बर्थ डे या एनीवर्सरी जैसे फंक्शन पर उन्हें गिफ्ट भी किया करता था ।
अनुपमा के जन्म दिवस पर उसने अनुपमा की एक बहुत खूबसूरत सी पेन्टिंग बनाकर अनुपमा को गिफ्ट में दी थी । उस पेन्टिंग को पाकर अनुपमा बहुत खुश हुई थी । अनुपमा और सक्षम को उसी दिन उसकी इस प्रतिभा के बारे में पता चला था । अक्षत ने अनुपमा को एक दिन अपनी पेन्टिंग्स का कलेक्शन दिखाया भी था ।
एक और ड्रायर में अक्षत की बनी हुई पेन्टिंग्स का कलेक्शन रखा हुआ था । पारंपरिक चित्रकारी से लेकर मॉडर्न आर्ट तक सब तरह की नायाब पेन्टिंग्स थीं उसके कलेक्शन में । अक्षत की पेन्टिंग्स के कलेक्शन को देखकर लगता था कि वह एक सिद्ध हस्त चित्रकार है ।
एक आखिरी ड्रायर और बचा था , उसे भी खोला गया । उसमें पेन्टिंग्स का एक एल्बम रखा हुआ था जिस पर लिखा हुआ था "माई फ़र्स्ट लव" । कवर देखकर सबकी आंखें उत्सुकता से और फैल गई थीं । अक्षत ने कभी अपने प्रेम के बारे में किसी से कोई जिक्र नहीं किया था । सब लोग यह जानने में बहुत इच्छुक थे कि आखिर अक्षत का फर्स्ट लव कौन है ? सब लोग उस एल्बम को गौर से देखने लगे ।
मंगल सिंह ने जैसे ही वह एल्बम उठाया उसके नीचे से पिंक कलर की एक ब्रा और ब्लैक कलर की एक पैंटी निकली । किसी महिला के उन अंतरंग वस्त्रों को वहां पर देखकर सब लोग दंग रह गये । अनुपमा तो शर्म से गड़ी जा रही थी । उसने उन दोनों वस्त्रों को पहचान लिया था । ये उसी के अंगवस्त्र थे । एक दिन जब उसे ये कपड़े नहीं मिले थे तो उसने समझ लिया था कि वे कहीं तेज हवा के कारण उड़कर कहीं चले गये हैं पर वे अक्षत के वार्डरोब में होंगे इसकी कल्पना अनुपमा ने नहीं की थी ।
वह सोच में पड़ गई । "अक्षत की आलमारी में कैसे पहुंचे ये वस्त्र ? क्या अक्षत ने इन्हें चुराया था ? वह अपने कपड़े छत पर बंधे हुए तार पर सुखाती है । कभी किसी दिन अक्षत ने उन्हें उठा लिया होगा और अपनी आलमारी में रख दिया होगा । पर उसने ऐसा क्यों किया" ? इस प्रश्न का जवाब अनुपमा के पास नहीं था ? अनुपमा के दिमाग में खलबली मचने लगी । वह काफी दिन पहले सोच भी रही थी कि उसकी पिंक ब्रा और ब्लैक पैंटी मिल नहीं रही थी पर उसे पता नहीं था कि वे यहां पर इस तरह "सुरक्षित" रखी हुई मिलेंगी ।
उन अंगवस्त्रों को देखकर मंगल सिंह ने कुटिल मुस्कान के साथ अनुपमा को देखा और पूछा "ये सामान आपका ही है ना मैडम" ?
अनुपमा तो पहले ही शर्म से पानी पानी हो रही थी । अपने पति के सामने अपने ही अंगवस्त्र किसी और व्यक्ति के कमरे से मिलने पर एक पत्नी की हालत कैसी होगी इसे अनुपमा को देखकर महसूस किया जा सकता है । मंगल सिंह के प्रश्न का वह क्या जवाब देती ? उसने चुप रहने में ही भलाई समझी ।
"बताइए, ये ब्रा, पैंटी आपके ही हैं" ? मंगल सिंह उसे कहां छोड़ने वाला था ?
अनुपमा ने मौन स्वीकृति दे दी । उसकी स्वीकृति से सक्षम को बड़ा आश्चर्य नहीं हुआ । उसे तो कुछ कुछ अंदेशा पहले से था । सक्षम की आंखों में अनुपमा के लिए घृणा ही घृणा थी । अक्षत के कमरे से पता नहीं और कितने राज बाहर निकलेंगे ?
मंगल सिंह ने वह एल्बम उठाया और उसका पहला पन्ना पलटा । पहला चित्र अनुपमा का ही बना हुआ था । मंगल सिंह को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि इस एल्बम में अनुपमा की पेन्टिंग्स होंगी ? मंगल सिंह ही क्या खुद अनुपमा को विश्वास नहीं हुआ लेकिन सत्य सबके सामने था । मंगल सिंह ने एक बार फिर से कवर पेज देखा उस पर लिखा था "माई फर्स्ट लव" । तो क्या अनुपमा ही अक्षत का पहला प्यार है ? उस एल्बम के हिसाब से तो ऐसा ही था । अनुपमा की बेहद शानदार पेन्टिंग बनाई थी अक्षत ने । मुस्कुराता हुआ चेहरा उस पर खुले हुए बिखरे बिखरे बाल उसके सौन्दर्य के गीत गा रहे थे । अनुपमा की तस्वीर इतनी सुन्दर थी जैसे बोल रही थी "क्या मुझसे भी हसीन और है कोई" ?
अगली पेन्टिंग में अनुपमा कपड़े सुखा रही थी । उसके अगली पेन्टिंग में वह बाल बना रही थी । उसके अगली पेन्टिंग में वह अपने माथे पर बिंदी लगा रही थी । एक पेन्टिंग में वह किसी को "किस" कर रही थी । जिसे किस कर रही थी उसका चेहरा नहीं दिखाया गया था उस पेन्टिंग में । उसके आगे की पेन्टिंग्स में अनुपमा को "न्यूड" दिखाया गया था । एक पोर्ट्रेट में अक्षत न्यूड अनुपमा का चित्र बनाता हुआ दिख रहा था । "टाइटैनिक" मूवी में नायिका ने जिस पोज में अपना पोर्ट्रेट बनवाया था यह पोर्ट्रेट भी उसी पोज में बना था और इसमें तो अक्षत उसे बनाते हुए भी दिखाई दे रहा था । इस प्रकार वह एल्बम अनुपमा की पेन्टिंग्स से भरा पड़ा था । उन पेन्टिंग्स को देखकर अक्षत की मानसिक स्थिति पता चल रही थी । अक्षत के दिल की चाहत पता चल रही थी । कुछ कहने को बाकी नहीं रह गया था ।
(अगले अंक में आप पढेंगे कि राहुल का असली कातिल कौन है ? सक्षम उस रात कहां था ? )
श्री हरि
9.6.2023
Gunjan Kamal
03-Jul-2023 10:17 AM
Nice one
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:40 AM
🙏🙏🙏
Reply
Alka jain
27-Jun-2023 07:50 PM
Nice 👍🏼
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
05-Jul-2023 09:40 AM
🙏🙏🙏
Reply
वानी
17-Jun-2023 10:36 AM
Nice
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
17-Jun-2023 11:37 AM
🙏🙏
Reply