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उत्सव -10-Jun-2023

प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 10/06/2023

उत्सव

उत्सव सा मन में उठता है,
जब कोई धीरे से मुस्काता है।
दिल में उठती उमंगे,
जब तराना सा कोई गाता है।

झूम उठती बहारें बसंत की,
सरसों के फूल हंसते हैं।
खेत खलिहान खिल उठते, 
जब गांवों में खेत लहराता है।
उत्सव सा मन में उठता है,
जब कोई धीरे से मुस्काता है।

फूल खिलते पौधों पर, 
भंवरे गुंजन करते हैं।
खामोशी को तोड़कर
जीवन सबके महकते हैं।
मन में उत्सव सा जग जाता है
जब मौसम झूमकर बरसाता है।
उत्सव सा मन में उठता है,
जब कोई धीरे से मुस्काता है।

शाहाना परवीन "शान"...✍️ 




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4 Comments

वानी

24-Jun-2023 07:36 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

10-Jun-2023 06:18 PM

बहुत खूब

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