पाऊँ अगला मनुष्य जन्म जो मैं,
सैनिक माँ भारती का बनाना प्रभु।
अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए मैं,
प्राण बेख़ौफ़ निछावर कर जाऊँ।
राष्ट्र का मैं सतर्क प्रहरी बनकर,
कर्तव्य अपना सम्मान से निभाऊँ।
मस्तक पर तिलक कर माटी से,
मातृभूमि का हर कर्ज चुकाऊँ।
रखूं सदा मान माता - पिता का,
वीर शहीद का मैं दर्जा पाऊं।
तिरंगे में जब लिपटा हो शरीर,
जन-जन की मैं सलामी पाऊं।
जाग्रत हो जाए हर एक युवा,
देश प्रेम की लौ मैं यूँ जलाऊं।
गर्वित रहे हर माँ का मस्तक,
देश का सच्चा सपूत कहाऊं।
© उषा शर्मा ✍️
ऋषभ दिव्येन्द्र
11-Jun-2023 12:22 PM
वाह, शानदार रचना
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madhura
11-Jun-2023 10:26 AM
very nice
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Punam verma
11-Jun-2023 08:06 AM
Very nice
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