मुश्ताक अहमद गुस्से बाला व्यक्ति था। उसके निकाह को करीबन 6 माह बीत चुके थे उसकी बीबी रजिया को तीन माह का हमल था। मुश्ताक अहमद थका हारा शाम को घर आया। उसकी बीबी की थोड़ी तबियत खराब खराब थी,
उसे बार-बार उल्टियां हो रही थी। मुश्ताक अहमद
के आते ही उसकी बीबी उसे चाय और बिस्कुट पेश कर देती, किन्तु आज जैसे ही चाय बनाने के लिए उठी उसे मितली आई और वह गुसलखाने में दौड़ पड़ी। बार-बार उल्टी होने से उसे चक्कर सा आने लगा। मुश्ताक अहमद चिल्लाए जा रहा, "रजिया चाय ले आ! रजिया चाय ले आ!"
मुश्ताक अहमद की अम्मी बोली, "उसकी तबियत ठीक नहीं मैं चाय बनाकर लाती हूँ।"
अम्मी चाय बनाकर बाबर्चीखाने से बाहर निकली, बाबर्चीखाने के दरवाजे पर पानी गिरा हुआ था, उस पर पैर पड़ते ही फिसल कर गिरी और बेहोश हो गई। ये देखकर मुश्ताक गुस्से से आग-बबूला हो गया।
चीखता हुआ अंदर गया और रजिया से बोला, "तू किसी लायक नहीं मैं तुझे तलाक देता हूँ। तलाक!
तलाक! तलाक!"
रजिया को अपनी सफाई में बोलने का एक मौका भी न मिला। तलाक के तीन शब्द सुनकर वह बेहोश हो गई।
बाहर जाकर मुश्ताक ने बेहोश पड़ी अम्मी को उठाकर पलंग पर लिटाया और चेहरे पर पानी के छींटे डाल कर होश में लाया। अम्मी के हाथ में चोट लगी थी वह दर्द से कराह रही थी। उसने अम्मी को सहारा दिया और हाॅस्पीटल दिखाने ले गया।
थोड़ी देर बाद अम्मी को दर्द से राहत मिली। दोनों घर आ गए। उसने रजिया को आवाज लगाई, "रजिया अम्मी के पास आकर बैठो!!"
लेकिन कोई जबाव नहीं आया। मुश्ताक अहमद को एकदम ख्याल आया कि वह रजिया को तलाक दे चुका है। वह लगभग दौड़ता सा कमरे में पहुँचा। रजिया कमरे से जा चुकी थी!!!
उसे अपने गुनाह का अहसास हुआ। सोचने लगा ये मैंने क्या कर दिया?? वह वहीं बैठ गया और चीख-चीख कर रोने लगा।
उसकी अम्मी घबरा गई, धीरे-धीरे चलते हुए बेटे के पास पहुँची, "क्या हुआ बेटा क्या हुआ??"
बार-बार पूछने पर उसने अपनी करतूत बयां करदी। सुनकर उसकी अम्मी सन्न रह गई!
रजिया को थोड़ी देर बाद होश आया वह बिलख-बिलख कर रोने लगी। रोते-रोते उसने अपने घर बताया कि मुश्ताक ने उसे तलाक दे दिया है!! हालांकि इद्दत का वक्त पूरा होने तक रजिया शौहर के घर में रह सकती थी, लेकिन ये उसकी खुद्दारी को ग़वारा नहीं था, इसलिए रजिया ने ख़ाविंद का घर छोड़ दिया और अपने वालिद के घर आ गई।
मुश्ताक गुनाह की आग में जलने लगा और उसने रजिया एवं उसके घर वालों से अपनी ख़ता की माफी मांगी। रजिया को अपनी जिंदगी में वापस लाने की जुगत में लग गया।
रजिया ने एक बेटी को जन्म दिया जो कि अब 6 माह की थी। इद्दत की मियाद खत्म हो चुकी थी।
रजिया ने वापस जाने से साफ इन्कार कर दिया कि वह मुश्ताक के साथ वापस नहीं जाएगी।
उसके अम्मी-अब्बू ने उसे समझाया, "कैसे जिंदगी गुजारेगी, कौन तेरी बेटी का सहारा बनेगा??"
वह खामोश हो गई, लेकिन न तो उसका दिल हलाला के लिए तैयार था और न ही वह मुश्ताक को माफ करना चाहती थी! मुश्ताक निकाह हलाला के लिए व्यक्ति ढूंढ़ने में लगा हुआ था। मुश्ताक ने अपनी परेशानी का सबब अपने दोस्त को बताया। दोस्त ने अपने एक दूर के रिश्तेदार शाकिर से मिलवाया जो एक रिक्शा चालक था जिसकी बीबी की 8 माह पहले बच्चा पैदा होते समय मौत हो गई थी। अम्मी सख्त बीमार थी, उसके ऑपरेशन के लिए उसे 50 हजार रुपए की सख्त दरकार थी। अम्मी की और अपने दुधमुंहे बेटे की देखभाल की वजह से वह रिक्शा भी नियमित नहीं चला पा रहा था। मुश्ताक ने शाकिर से रजिया के साथ निकाह हलाला करने के लिए कहा। शाकिर पैसे की दरकार के चलते तुरंत तैयार हो गया। दोनों के बीच में 50 हजार में सौदा तय हो गया।
रजिया और शाकिर का निकाह हलाला करवा दिया गया।
रजिया ने शाकिर के घर आते ही उसकी अम्मी और बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी शुरू कर दी। शाकिर को रिक्शा चलाने का वक्त मिल गया। वह नियमित काम पर जाने लगा।
उसे रजिया में बहुत खूबियाँ दिखीं। रजिया भी समझ गई कि शाकिर एक अच्छा और जहीन व्यक्ति है। रजिया ने शाकिर से कहा, "मैं ता-उम्र तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ अगर तुम्हें मेरा साथ मंजूर हो तो मुझे तलाक मत देना। शाकिर तो रजिया की अच्छाई का कायल पहले ही हो चुका था फिर उसे रजिया की मंजूरी भी मिल गई। उसे और क्या चाहिए!! वह इस बात से इत्तफाक रखता था!!
मुश्ताक शाकिर के पास पहुँचा और कहा कि वह रजिया को तलाक दे और सौदे के मुताबिक अपनी रकम लेले।
शाकिर ने साफ इन्कार कर दिया कि वह रजिया को तलाक नहीं देगा। मुश्ताक ने अपने दोस्त का सहारा लिया। उसने शाकिर को समझाया उसे अपने ही शब्दों से मुकरने का हवाला दिया, किन्तु शाकिर ने उसकी बात नहीं मानी और बोला कि रजिया नहीं चाहती मैं उसे तलाक दूँ और मैं भी नहीं चाहता कि रजिया मुझे छोड़ कर जाए। मुश्ताक ने उसे 1 लाख रुपए देने की बात कही तो शाकिर बोला कि मैं रजिया के लिए 1 करोड़ भी ठुकरा दूंगा!!
रजिया उसकी ये बात सुन कर और निहाल हो गई।
मुश्ताक ने काजी के रूबरू अपना वाकया बयान किया। काजी ने शाकिर को तलब किया। शाकिर ने काजी से कहा, "मैं और रजिया दोनों ही एक-दूसरे से अलग होना नहीं चाहते!!"
काजी ने रजिया से बात की तो रजिया ने शाकिर के साथ जिंदगी बिताने की बात कही और बोली, "मैं मुश्ताक के साथ एक पल भी बिताना पसन्द नहीं करूंगी, मुझे उससे निजात चाहिए।"
रजिया को मुश्ताक से निजात मिल गई।
रजिया ने अपने जेवर बेचकर शाकिर की अम्मी का ऑपरेशन करा दिया। रजिया उसकी बेटी, शाकिर का बेटा और शाकिर की माँ खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बसर करने लगे!!
मुश्ताक अपनी गलती के लिए पछताता रह गया!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Punam verma
13-Jun-2023 01:06 AM
Very nice
Reply
वानी
12-Jun-2023 06:39 PM
बहुत खूब
Reply
Naresh Sharma "Pachauri"
12-Jun-2023 05:33 PM
अति सुन्दर
Reply