रिश्ते

जाने कहां वो रिश्ते गुमनाम हुए

क्या वाकई फरिश्ते भी बदनाम हुए ,
ना अब आरजू महफिल में रही सलामत 
जब दे अपने ही धोखा तो 
जाए कौन सी अदालत ,
ना सराहनीय न संवेदनशीलता रही
अब ना किसी के मन में आत्मगलिनता रही,
हर रिश्ता बाजार में बिकता जा रहा
अब मानव जैसे खुद ही को लूटता जा रहा, 
अब ना रहा आत्मसम्मान
अब ना वह करता 
कोई रिश्तो पर अभिमान 
अब तो मंदिर मस्जिद भी ना रहे सुरक्षित 
बालाओं के रक्त से हो गए वह भी कलंकित,
लगता है ईश्वर को खुद आना होगा
अपना अस्तित्व तो खुद ही जताना होगा,
निश्छल हो जाओ सुधारो अपना हाल
गुमनामी छोड़ बदलो अपनी चाल
जाने कहां वो रिश्ते गुमनाम हुए...

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7 Comments

Abhinav ji

14-Jun-2023 09:22 AM

Very nice 👍

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

13-Jun-2023 11:43 PM

👏👌🙏🏻

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