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रिश्ते

रिश्तों की मर्यादा, 
लेकर चलती है बेटी,
दो कुलों की आन बचाए।
अमर्यादित जब कदम बढ़ाया,
हिस्से में सिर्फ रुसवाई आए।
चूड़ियाँ सौभाग्य कहाँ है??
मात-पिता आशीष कहाँ??

रिश्तों की मर्यादा, 
बेटा इसको अपनाता है,
घर उपवन सा महकाता है!!
बच्चे पुष्प से खिले-खिले हैं।
मात-पिता चेहरे दमके हैं।
अमर्यादित हो जाए रिश्ता,
जीते जी बुजुर्ग मर जाएँ।
या वृद्धाश्रम अपनाएँ!!

रिश्तों की मर्यादा, 
मात-पिता अहमियत समझें!
बाबुल बगिया चिड़िया चहके।
मर्यादा का धागा टूटा,
गर्भ में मर जाए बिटिया।

रिश्तों की मर्यादा कैकई ने तोड़ी,
वनवास राम को भरत राजगद्दी।
कोई मंसूबा सफल नहीं हुआ।
पति वियोग हिस्से में आया,
बेटा माँ के करीब न आया,
भरत ने राज्य का त्याग कर दिया!
"श्री" माँ को कुमाता नाम दे दिया!!

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)


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8 Comments

Abhinav ji

14-Jun-2023 09:22 AM

Very nice 👍

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खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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Punam verma

14-Jun-2023 01:15 AM

Very nice

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