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दीपक




दीपक-पर्व-दीवाली
दीये जलाकर करो घर को रौशन,
मग़र दिल को रौशन है करना जरूरी।
मुबारक़ हो सबको पवित्र पर्व दीपक-
ईश्वर करे सबकी इच्छा हो पूरी।।
              ईश्वर करे सबकी............।।

    यह पर्व दीपक का होता निराला,
    तम को भगा कर यह देता उजाला।
    इसी पर्व से ले सबक हम भी सीखें-
    किसी की तमन्ना न रह जाए अधूरी।।
                     ईश्वर करे सबकी............।।

जलते दीये लगते जगमग सितारे,
गगन जैसे निज छवि धरा पे उतारे।
झटपट अमावस पहन वस्त्र नूतन-
हो गई जैसे रजनी वह पूनम कर्पूरी।।
                ईश्वर करे सबकी..............।।

कहीं पे पटाके, कहीं फुलझड़ी है,
दीवाली तो खुशियों की अनुपम घड़ी है।
उछल-कूद करता हर बचपन-बुढ़ापा-
गले मिल जवानी सँग रक्खे न दूरी।।
             ईश्वर करे सबकी.................।।

दीवाली तो आती है,आती रहेगी,
विजय का महोत्सव मनाती रहेगी।
करके उजाला अवनि से गगन तक-
धरा-धाम की छवि करेगी वह नूरी।।
              ईश्वर करे सबकी..................।।

चलो,हम सभी मिल के कर दें उजाला,
जहाँ मुफ़लिसी ने अँधेरा कर डाला।
उन अधरों पे मुस्कान लाना हो मक़सद-
अहा!छिन गयी जिनकी आभा सिंदूरी।।
          ईश्वर करे सबकी इच्छा हो पूरी।।
                   ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                       9919446372

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2 Comments

Gunjan Kamal

22-Nov-2023 06:09 PM

👏🏻👌

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Babita patel

19-Nov-2023 10:07 AM

👍👌

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