दहेज दानव
दहेज दानव बढ़ता ही जाए,
मुँह है इसका सुरसा जैसा,
बेटियों का जीवन लीलता।
दहेज समाज के लिए अभिशाप,
इसमें बेटियों की बलि चढ़ती है।
किन्तु इस दहेज यज्ञ में आहुति देने वाले
माता-पिता की अहम भूमिका है।
किसी के बेटे की सरकारी नौकरी लगी,
किसी कम्पनी में अच्छा पैकेज या कोई
अधिक कमाई वाला बिजनेस।
बोली लगना शुरु, दस लाख, बीस लाख,
तीस लाख, पचास लाख, एक करोड़।
अरे भाई जब दक्षिणा की बोली लग रही है तो,
पंडित जी पूजा कराने कहाँ जाएँगे??
जहाँ दक्षिणा सबसे ऊँची हो।
अब बताइए दहेज लेने वाले का दोष!
बढ़ चढ़कर दिया जा रहा है,
तभी तो वह ले रहा है।
किसी की बेटी 12वीं पास, किसी की बीए।
माता-पिता पर अकूत माया,
फिर वह लड़की लड़के की जोड़ी कहाँ देखेगा??
बेटी के खेलने के लिए गुड्डा खरीदेगा,
वह खरीद भी सकता है!
लेकिन कुछ लोग दहेज से परहेज़ भी करते हैं,
बेटी के काबिल वर भी चाहते हैं,
किन्तु बेटी को काबिल बनाना नहीं चाहते!
भारी दहेज दे सकते हैं किन्तु
बेटी की काबिलियत पर खर्च नहीं कर सकते।
एसडीएम आईएएस अकाउंटेंट के लिए
बोली मत लगाओ!
बेटी को आगे बढ़ाओ, आॅफीसर बनाओ!
फिर माता-पिता को बोली नहीं लगानी पड़ेगी,
मुफ्त में शादी होगी, जैसी बेटी की काबिलियत होगी,
वैसा ही काबिल वर मिलेगा बिना दहेज!!
बेटी भी फख्र करेगी सम्मान से जी सकेगी,
बिना दहेज!
बेटियों के बारे में माता-पिता को सोचना होगा।
समाज ने किससे कहा कि दहेज दो या मत दो??
ये तो माता-पिता हैं जो हैसियत का ढिंढोरा पीटते हैं।
गरीब की शादी नहीं देखी क्या?
मजदूर दूल्हा मजदूर दूल्हन को एक जोड़ी कपड़े में
ब्याह कर ले जाता है, दोनों की काबिलियत समान है।
कैसा दहेज!
मजदूर की दुल्हन जला के मार दी कभी सुना है क्या??
या तलाक का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है सुना है क्या??
एक साथ दोनों मजदूरी करते हैं, मस्त रहते हैं।
एक साथ बनाना खाना,
फावड़ा तसला उठा के कहीं भी चल देना!
बराबर की काबिलियत फिर कैसा दहेज??
कैसा दहेज…..??
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
15-Jun-2023 09:14 AM
सोचने के लिए मजबूर करती हुई रचना
Reply
Abhinav ji
15-Jun-2023 07:29 AM
Very nice 👍
Reply
Punam verma
15-Jun-2023 01:14 AM
Very nice
Reply