Madhu Arora

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अलगाव

अलगाव पति पत्नी में दूरी के कारण बहुत 
होते हैं ,
धीरे-धीरे दोनों ही प्रेम संबंध को खोते।

चरित्र नहीं है ठीक किसी का पता जब चलता है,
मन में शंका का कीडा तब धीरे-धीरे पलता है।

सामंजस्य नहीं है देखो संतुलन मन का खोते हैं 
घमंड बसा मन के भीतर संबंधों नहीं अब ढोते हैं।

पैसे के कारण भी देखो दोनों बहुत झगड़ते हैं,
कोस भाग्य को, एक दूजे पर दोष सदा मढ़ते है।

देखो देखो वक्त चक्र का  दोनों ही अलग रहते हैं,
आते लोग बहकावे में देखो मार्ग प्रेम को तजते है।

यह सब बातें घर कर जाती मन में दुविधा होती है,
रिश्ते यहां अलगाव के होते दुख आग में जलते है

अपनी अपनी सब कहते समझौता का ना जीवन है,
गलती कहां किसी की सोचे बंधन कैसे रूकते है।।
                                 रचनाकार ✍️
                                 मधु अरोरा

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6 Comments

वानी

24-Jun-2023 10:21 AM

बहुत खूब

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Abhilasha Deshpande

22-Jun-2023 03:06 PM

अद्वितीय रचना

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लाजवाब लाजवाब

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