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ताई

तानी! हाँ यही नाम तो था उसका। 

6 वर्षीय तानी, "ताई जी आपके सिर में दर्द है मैं सिर दबा दूँ??"
ताई, "चल भाग यहाँ से।"
बच्ची डर कर भाग आई।
अलमारी में रखी वाम की डिब्बी पर उसकी निगाह पड़ी तो
तानी को ख्याल आया कि उसकी माँ के सिर में दर्द होता था तो वह इस डिब्बी में से दवा लगाती थी।
उसने झट डिब्बी उठाई और ताई के कमरे की तरफ दौड़ी,
ताईजी! ताईजी, "दवा लगा दूँ, सिर दर्द बंद हो जाएगा।"
ताई सो चुकी थी, उन्होंने कुछ नहीं सुना।
तानी उचक कर ताई के सिरहाने बैठ गई और प्यार से वाम
लगाने लगी उसे बहुत देर हो गई। 
तानी को याद आया कि कुछ दिन पहले जब उसे बुखार आया था तो माँ ने उसके सिर पर गीली पट्टियां रखीं थीं तब उसका बुखार उत्तर गया था।
वह रसोई में से पानी ले आई और कमरे में से रूमाल लाकर ताई के सिर पर पानी की पट्टियाँ रखने लगी।
चार घंटे लगातार वह ताई की सेवा करती रही। ताई का बुखार कम हो चुका था उनकी निद्रा टूटी सामने घड़ी में चार बज रहे थे।

तभी उन्हें अहसास हुआ कि सिरहाने कोई है जो माथे को गीला कर रहा है।
तानी ने देखा ताई जाग गई हैं तो कहने लगी, ताई आपका बुखार उतर गया?? आपने कुछ नहीं खाया है! आप खिचड़ी खाएँगी??
आज ताई ने उसे डाँटकर नहीं भगाया वे सुनती रहीं।
आज उन्होंने तानी के लिए अपनत्व महसूस किया!
ताई खिचड़ी खाएंगी??
ताई की तन्द्रा भंग हुई!
वे बोलीं, "कौन बनाएगा मेरे लिए खिचड़ी।"
तानी, "मैं बनाऊँगी।"
ताई, "कैसे?"
तानी, "पानी रखूँगी, उसमें दाल-चावल डाल दूँगी।
तभी दरवाजे पर आहट हुई।
तानी दरवाजा खोलने के लिए दौड़ गई।
तानी के ताऊजी ने कमरे में प्रवेश किया।
कल तानी के मामा आकर तानी को ले जाएँगे।

ताई विचारों में खो गईं। छ: महीने की ही तो बात है।
तानी की माँ सरोज अक्सर अपनी जेठानी (तानी की ताई) को ताने मारती रहती और जब-तब उनकी बेइज्जती करती रहती।
ताई को बहुत बुरा लगता। वह एक सीधी-साधी घरेलू महिला थीं। मन मसोस रह जातीं।
सरोज और उसका पति (तानी के माता-पिता) एक बम्ब विस्फोट हादसे का शिकार हो गए। पति ने उसी समय प्राण त्याग दिए। सरोज अस्पताल में तीन दिन पश्चात जिंदगी की जंग हार गई। तानी अकेली रह गई। 
ताई जब भी तानी को देखतीं सरोज की बद्तमीजी सामने आ जातीं। 
ताई ने अपने पति से कहा, मैं इसे अपने पास नहीं रख सकती। 
इसका कहीं इंतजाम करो। ताई की जिद् के आगे ताऊजी ने तानी के मामा से मुलाकात की।
तानी के मामा उसे कल लेने आने वाले थे।
नियत समय पर तानी के मामा आए। थोड़ी देर बाद उन्होंने तानी से कहा, "तानी बेटा चलो अब तुम हमारे साथ रहोगी।"
तानी, "ठीक है मामा मैं ताईजी से कहती हूँ वे तैयार हो जाएँ।"
'ताई जी क्यों??"
तानी, "वे हमारे साथ चलेंगी न!!
मामा, "नहीं बेटा सिर्फ तुम चलोगी।"
तानी, "नहीं मामा! ताई जी नहीं चलेंगी तो मैं भी नहीं जाऊँगी!!"
तानी के मामा और ताऊ एक-दुसरे का मुँह देखने लगे।

तानी सत्य कह रही है!!
ताई ने आकर विस्फोट किया!!
तानी अपनी ताई के बिना कहीं नहीं जाएगी!!
ताऊजी, "ये तुम क्या कह रही हो??"
ताई, "सत्य कह रही हूँ जी!! 
मै तानी की ताई नहीं माँ हूँ, मेरी बेटी मेरे ही साथ रहेगी!
मैं तानी को उसकी माँ कि बद्तमीजी की सजा नहीं दे सकती। 
नहीं दे सकती!!
तानी का हाथ पकड़कर माँ अंदर चली गई।
मामा और ताऊ की आँखों में आँसू थे।
आपस में नजरें मिलीं तो दोनों मुस्कुरा पड़े।
पीछे मुड़कर देखा तो तानी अपनी माँ के गले में बाँहें डाले हाथ नचा-नचाकर कुछ कह रही थी।
दोनों हँस पड़े!!!

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)








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8 Comments

Madhumita

20-Jun-2023 04:21 PM

Nice 👍🏼

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Abhinav ji

17-Jun-2023 08:47 AM

Very nice 👍

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madhura

17-Jun-2023 06:26 AM

nice

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