बाबूजी
बाबूजी!
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हिमाँशु पाठक
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बाबूजी! शब्द नही,
बल्कि अहसास है।
जिनकी उपस्थिति,
भर देती है; विश्वास।
जब वो कहते हैं,
मैं हूँ ना डर मत!
तू लड़ परिस्थिति से,
मैं सभाँल लूँगा।
तब, जब तू हारेगा।
मैं प्रोत्साहित करूँगा।
तब,जब तू जीतेगा।
और उनका आशीर्वाद,
सदा देता है मुझे ऊर्जा,
जीवन से संघर्ष करने में।
बाबूजी! शब्द नही,
बल्कि अहसास हैं।
जिसे, जो महसूस करें,
वो सौभाग्यशाली!
जो ना करे; महसूस,
उस पर ईश कृपा करे।
वो हमेशा हमारी खुशी में,
अपनी खुशी तलाशते हैं।
खुद कम खातें हैं,
या कभी तो पानी पीकर,
प्रफुल्लित हो जाते हैं;
जब वो हमारा पेट भरा पाते हैं
अपना तो टूटी-फूटी चप्पल,
अंर हमारे लिए नए जूते लाते हैं।
अपना तो चलता है,
कहकर हमें नए कपड़े दिलाते है।
हममें, वो अक्सर,
अधूरे सपनों को तलाशते हैं।
पूरे हो जाएं,तो प्रफुल्लित हो,
हमारी कामयाबी पर ऐसे इतराते हैं,
जैषे उन्होंने अपना सपना,
जो अधूरा था,पूरा कर लिया।
और अगर हम विफलता पर,
वो हमें ढाढँस बधाते हैं।
हाँ! संतति अगर सपड़ जाए,
तो उनका भाग्योदय हो,
और ,अगर बिगड़ जाए,
तो उनकी सार्थकता,
विफल हो जाए।।
उनका मनोबल बिखर जाता है।
बाबूजी!शब्द नही,
बल्कि अहसास हैं।
मैंने उनको कभी,
रोते हुए नही देखा है।
वो जब भी दिखाई दिए,
बस मुस्कुराते हुए।
लोगों के मुँह से सुना है,
कि वो आँसुओं को,
चतुरता से छिपा लेते हैं।।
आज बाबूजी हैं तो,
मगर तस्वीर में,मुस्कुराते हुए।
वो तब भी आशीर्वाद देतें,
वो आज भी आशीर्वाद देते हैं।
तब तथास्तु कहकर,
आज मौन रहकर।।
बाबूजी छत हैं बाबूजी सुरक्षा हैं,
बाबूजी विश्वास हैं,बाबूजी श्वाँस है।
बाबूजी तब शब्द थें
आज अहसास हैं।।
समाप्त
हिमाँशु पाठक
हल्द्वानी,उत्तराखंड
Gunjan Kamal
24-Sep-2023 10:24 AM
👏👌
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ऋषभ दिव्येन्द्र
18-Jun-2023 12:31 PM
लाजवाब
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