पिता
पिता
अंतहीन
टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों की तरह
उम्र से भी लंबे रास्तों पर
निरंतर कौन चलता है
जाता बाजार
खरीदने अपना कुछ सामान
छोड़ जरूरतें अपनी सारी
ले आता
घर की खुशियों का सामान
अडिग है फर्ज निभाएगा
दो निवाले
हल्क से उतरे या नहीं
कोई परवाह नहीं
नन्ना मुन्ना रहे भूखा
गवारा नहीं
हर ख्वाइश पूरा करना
गंगा स्नान लगता है
निज़ सुख से बनी न जिसकी
बिन उसके
घर द्वार
अधूरा सुनसान लगता है
कोई और नहीं यारो
वो पिता है
कड़ी मेहनत पिता की
सुख सारे लाती है
करता जतन सारे
कभी थकता नहीं है
हिसाब रखता नहीं
उसने क्या खोया क्या पाया
प्रसव पीड़ा से गुजरती
वीवी को संभाला है
जहन मेँ एक ही बात आती
कैसे सुखमय हो
जीवन बच्चों का
खिलाती पिलाती दुलार देती
मां है
याद मां की बसी
बच्चों की रग-रग में
बाप कर्म निभाए चुपचाप
लाड़ लड़ाने का वक्त कहां है
बन गया मशीन
पैसा कमाने क़ी
कैसे सेटल होंगे बच्चे
सारे हिसाब लगाए हैं
कौन है
वो एक बाप है
क्या किया हमारी खातिर
प्रश्न प्यारा बच्चा उठाएगा
नई बात नहीं
दुनिया की रिवायत है
होगा अपमानित
कह कुछ ना पाएगा
पीठासीन हुए बच्चे
बड़े ओहदों पर
पूछ बैठा कोई
सफलता के पीछे है कौन
मेरी मेहनत,प्रेयसी
और कौन
पूछता हूं क्या तूने
पिता को पहचान लिया
पिता अनमोल है
घर की खुशियां
आपके जीवन का कुबेर
कुंजी हर खुशी क़ी
न समझ सको मर्जी
तुम्हारा जीवन लगता
टेढ़ा मेढ़ा भूगोल है
अंतहीन
टेढ़ी-मेढ़ी सड़क की तरह
उम्र से भी लंबे रास्तों पर
निरंतर चलता कौन है
निरंतर चलता कौन है
वो पिता है वो पिता है
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 77726
madhura
16-Jul-2023 07:18 AM
V. Nice
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Punam verma
19-Jun-2023 12:29 AM
Very nice
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ऋषभ दिव्येन्द्र
18-Jun-2023 12:28 PM
बेहतरीन
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