लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग 24
अदालत में आज सुबह से ही चहल पहल हो रही थी । लोगों की निगाहों में एक ही सवाल था कि क्या हीरेन अपने जासूसी के तिलिस्म से सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी के द्वारा बनाया गया झूठ के मकड़जाल को ध्वस्त कर पाएगा ? लोगों की उत्सुकता अब सक्षम , अनुपमा और अक्षत की सजा में कम और हीरेन दा की जासूसी के जलवे देखने में अधिक थी ।
मीडिया में यह केस बहुत अधिक पॉपुलर था । मीडिया इस केस को दिन रात 24 घंटे दिखा रही थी । कुछ चैनल्स की टी आर पी इस केस के 24 घंटे प्रसारण से बहुत अधिक बढ़ गई थी । उनकी टी आर पी बढती रहे इसके लिए कुछ पत्रकार अनुपमा के घर से लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे और चीख चीखकर कह रहे थे "यही है वह मनहूस घर जिसकी चारदीवारी में एक अजनबी मासूम युवक इश्क की भेंट चढ़ गया । मीडिया आतंकवादियों और हिस्ट्रीशीटर्स को "मासूम" बताता आ रहा है । शायद इनको पैसा आतंकी संगठनों से या माफियाओं से मिलता है । तभी तो ऐसा करता है यह मीडिया । पैसे के लिए यह मीडिया कुछ भी कर सकता है ।
एक मीडियामैन अपने कपड़ों पर सॉस छिड़क कर कत्ल का सीन क्रिएट कर जोर जोर से चीख रहा था कि जिस दिन से राहुल की लाश इस घर में मिली है उस दिन से इस घर में ताला पड़ा हुआ है । इस घर के दरवाजे और खिड़कियों की दरारों से अक्षत और अनुपमा के इश्क के किस्से छन छन कर बाहर आ रहे हैं । अनुपमा घर के अंदर कैसे जाती थी ? जब वह छत पर कपड़े सुखाने जाती थी तो अक्षत के दिल पर क्या बीतती थी ? अक्षत के सामने ही वह ऊपर छत पर कपड़े कैसे सुखाती थी ? छत पर प्रेमालाप कैसे होता था ? आदि आदि । इस तरह के समाचारों में श्रंगार, हास्य, व्यंग्य, रोमांच, डर सब कुछ होता था सिवाय समाचारों के । मीडिया की रिपोर्टिंग के कारण ही लोगों की रुचि इस केस में बहुत अधिक हो गई थी जिससे लोग उमड़ उमड़ कर अदालत आ रहे थे ।
अदालत खचाखच भर गई थी । उसमें तिल भर भी जगह नहीं बची थी । लोगों का हुजूम अब भी उमड़ रहा था । जज साहब ने अपने जीवन में कभी भीड़ का ऐसा नजारा देखा नहीं था इसलिए वे परेशान हो गए । उन्होंने तुरंत हाईकोर्ट को सूचना देकर मार्गदर्शन मांग लिया । हाईकोर्ट के जज भी इतनी भीड़ को देखकर चकरा गए । भीड़ को कैसे नियंत्रित किया जाये, इसका आइडिया जजों में किसी को नहीं था । ए सी कोर्ट में बैठकर पुलिस और प्रशासन को कड़ी फटकार लगाना बहुत आसान है । भीड़ का सामना करने के लिए "गुर्दा" चाहिए गुर्दा ।
तब थानेदार मंगल सिंह ने जज को सलाह दी कि रिजर्व पुलिस फोर्स बुलवाई जाये । आनन फानन में रिजर्व पुलिस फोर्स बुलवाई गई । जज के सामने ही बिना मजिस्ट्रेट के पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया और पचासों लोग घायल हो गये पर इस पर जज साहब खामोश रहे । यदि यही काम और किसी जगह पुलिस द्वारा होता तो जज साहब अब तक दो चार अफसरों को जेल भेज देते ।
भारत के लोग भी बड़े "हुजूमी" हैं । छोटी छोटी बात पर हुजूम में निकल पड़ते हैं , जैसे वे ठाली बैठे हों । और तो और वे इतने "वेल्ले" हैं कि "बुलडोजर" चलने की कार्यवाही देखने के लिए भी हुजूम के रूप में घंटों तक मौके पर खड़े रहकर हो हल्ला मचाते रहते हैं । उन्हें भूख प्यास की भी परवाह नहीं होती है । आजकल तो लोगों को सेल्फी लेने और वीडियो बनाने का गजब का चस्का लगा हुआ है । एक जगह एक स्कूल भवन में आग लग गई । फायर ब्रिगेड वाले बच्चों को ऊपर की मंजिल से बचाने के लिए उन्हें फायर ब्रिगेड से नीचे उतार रहे थे । लोग बच्चों को बचाने के बजाय उनका वीडियो बनाते रहे । गजब की असंवेदनशीलता है । और फिर जब खुद कष्ट में होते हैं तो कहते हैं "हम इतनी बुरी हालत में थे और हमें बचाने कोई नहीं आया" ।
आजकल तो राजनीतिक दलों और सरकारों ने वोटों के लिए "मुफ्त मुफ्त योजना" चला रखी है । जब से फ्री बिजली, पानी योजना "सुपरहिट" हुई है तब से समस्त राजनीतिक दल एक से बढकर एक "फ्री योजना" लॉच करने में लगे हुए हैं । सब कुछ मुफ्त में देने की होड़ लग रही है । एक राजनीतिक दल ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में लिखवाया कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आई तो सबको फ्री में बिजली, पानी, वाई फाई के साथ चाय नाश्ता और दोनों टाइम का भोजन भी देगी । जैसे ही यह घोषणा हुई दूसरे दलों में हड़कंप मच गया । एक विपक्षी दल ने इससे आगे बढकर घोषणा कर दी कि वह सबको बिजली, पानी, टेलीफोन , नेट, दवाई के साथ साथ इंग्लिश दारू भी फ्री देगी । लोगों को यह वाली योजना बहुत पसंद आ रही है और उस दल को वोट थोक में मिल रहे हैं । आजकल दारू फ्री में मिल जाये तो लोग देश भी बेच दें ।
अदालत के बाहर भीड़ चिल्लाने लगी कि उन्हें भी अदालत में हीरेन जासूस की दलीलें सुननी हैं । इसके लिए नारेबाजी होने लगी । भीड़ बेकाबू होने लगी । कुछ आंदोलनजीवियों को इस भीड़ में सत्ता और कुछ पैसा दिखाई दिया तो वे भी भीड़ के समर्थन में कूद पड़े । आजकल इन आंदोलनजीवियों ने सड़कों को जाम कर अपनी दुकान सजाने का धंधा शुरू कर दिया है । आंदोलनजीवियों ने अदालत से मांग की कि अदालत के बाहर एक स्क्रीन लगवाई जाये जिससे सब लोग हीरेन जासूस की जासूसी के नमूने देख सकें । इन आंदोलनजीवियों के हुड़दंग के कारण जज साहब को अदालत के बाहर उसी तरह स्क्रीन लगवाने पड़े जिस तरह बड़े बड़े मॉल वर्ल्ड कप के मैच देखने के लिए स्क्रीन लगवाते हैं ।
सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी भी आ गये थे । अपनी विद्वता के घमंड में वे अपनी मूंछें उमेठ रहे थे । जीतने की आशा में उनका चेहरा प्रसन्नता से खिला हुआ था । सक्षम, अनुपमा और अक्षत को पुलिस ले आई थी । वे लोग अपने निर्धारित स्थान पर आकर खड़े हो गये थे । तीनों के चेहरे उतरे हुए थे । उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था ।
हीरेन दा अपनी लंबी लंबी जुल्फों को झटक कर ऊपर करते हुए और अपने बालों में उंगली फिराते हुए जल्दी जल्दी चले आ रहे थे । उनके मुंह में दोनों ओर दो दो पान घुसे हुए थे जिससे वे पूरे हनुमान जी जैसे लग रहे थे । मीना उनके पीछे पीछे दौड़ती सी चली आ रही थी । उसने एक बहुत सुंदर टॉप और प्लाजो पहन रखा था । आसमानी कलर के वस्त्र होने के कारण वह कोई आसमानी परी लग रही थी ।
"थोड़ा धीरे चलो ना ? इतने तेज क्यों दौड़ रहे हो" ? मीना हांफते हुए बोली
"अरे वो खड़ूस जज अगर मेरे पहुंचने से पहले डायस पर बैठ गया तो मेरी खाट खड़ी हो जाएगी । मैं कल भी लेट हो गया था । अगर आज भी लेट हो गया तो वह बिगड़ैल सांड की तरह "बिदक" जाएगा" । हीरेन बिना पीछे मुड़े बोला ।
"बिदक जाएगा तो क्या हो जाएगा ? शरबती पान देकर मना लेना , और क्या" ?
"जजों और प्रेमिकाओं को मनाना इतना आसान है क्या ? इन्हें मनाने में बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं । मैं तो भुक्त भोगी हूं । कल के बेले पापड़ों से अभी तक अंग अंग दुख रहा है मेरा" हीरेन मीना को चिढाता हुआ बोला ।
"अच्छा जी । ये बात है ! तब तो अभी "सिकाई" करनी पड़ेगी आपकी । एक हाथ की दो तड़ातड़ पड़ेगी तो सारा दुख दूर हो जाएगा" मीना हंसते हंसते बोली ।
"देवी जी, मेरा दुख तो आपकी तड़ातड़ वाली मीठी मीठी बातों से ही दूर हो गया है । अब थोड़ा जल्दी चलो नहीं तो मामला उल्टा पड़ जाएगा" । लपकते हुए हीरेन दा ने कहा
दोनों फटाफट अदालत में आ गये । जज साहब उसे घूरकर देखने लगे । उसे आज भी आने में देर हो गई थी ।
"हुजूर, "किवाम" वाले पान का स्वाद ऐसा होता है कि उसे खाने के बाद धरती पर जन्नत का अहसास होने लगता है । कितनी भीड़ लगी रहती है छज्जू पनवाड़ी के यहां किवाम का पान खाने के लिए । बड़ी मुश्किल से दो पान हाथ लगे हैं । नॉश फरमाइएगा जनाब , खुद को जन्नत में पाओगे" । गजब की एक्टिंग करता है हीरेन ।
जज साहब कल के शरबती पान को अभी तक भूले नहीं थे । उसकी सुगंध अभी तक उनके नथुनों में बसी हुई थी । हीरेन ने जज साहब के सामने "किवाम" वाले पान का जिस तरह से वर्णन किया था उससे जज साहब के मुंह में पानी आ गया था । उनकी आंखों में याचना उतर आई । मौका देखकर चौका जड़ने में हीरेन माहिर था । खट् से अपनी जेब से वही चांदी का पानदान निकाला और उसे खोलकर देखा । उसमें गिनती के दस पान थे । अलग अलग किस्म के अलग अलग पान । उसने चांदी के वर्क में लिपटा हुआ एक किवाम वाला पान निकाला और जज साहब की ओर बढाते हुए कहा
"सर, एक बार आजमाकर देखिए फिर आप भी छज्जू पनवाड़ी ने पान के दीवाने हो जाएंगे । और किवाम वाला पान तो पानों का राजा है" ।
जज साहब ने वह पान लिया और झट से अपने मुंह में रख लिया । जैसे ही उन्होंने मुंह बंद किया तो पान से जैसे पिचकारी छूटी और जज साहब को वह पिचकारी ऐसे रस से सराबोर कर गई जैसे पिया की पिचकारी गोरी को प्रीत के रंग में रंग देती है । जज साहब खुश हो गये और उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा
"क्या पान है जासूस महोदय ! मजा आ गया । अब बहस शुरू कर दो और जब तक बहस चलती रहे मेरे मुंह का पान खत्म नहीं होने पाए, ध्यान रखना" ।
श्री हरि
18.6.2023
Gunjan Kamal
24-Jun-2023 12:29 AM
👏👌
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:06 AM
🙏🙏
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Shnaya
23-Jun-2023 11:48 PM
V nice
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:06 AM
🙏🙏
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Varsha_Upadhyay
23-Jun-2023 03:11 PM
बहुत खूब
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:05 AM
🙏🙏
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