Tania Shukla

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हार्टलेस

कैसा लड़का है एक तो बिना इजाजत मेरी तस्वीर बना दी और अब घूर घूर कर देख रहा है, सोनल मन ही मन बडबडा रही थी…


चलो सब लड़कियों बस में बैठो वापस जाने का समय हो गया और देर नहीं रुक सकते रात होने वाली है और तुम सब की चिंता मुझे ही करनी है, मेम ने सबको बस में चलने को कहा,


एक एक कर सब बस में बैठ गई मैडम भी बैठने लगी तो वो अर्पित दौड़ता हुआ आया और बोला, 


मैडम जी हर तस्वीर पर मेरा फोन नंबर लिखा है 

कभी मेरी याद आए तो फोन जरूर करना… मैं और भी अच्छी तस्वीरें बना सकता हूं, कह तो वो मैडम को रहा था पर उसकी नज़रे सोनल पर थी,

बाकी सब लडकियां बहुत गौर से उसको देख रही थी, कुछ तो इस बात से चिड़ी हुयी थीं के उनकी तस्वीर नहीं बनी और उनको जाना पर रहा है,..


सोनल ने नजर उठा कर अर्पित को देखा वो दिखने में काफी स्मार्ट लड़का था, और उसके चेहरे पर कुछ अलग बात थी, गंभीरता के साथ साथ अलग तरह की मुस्कान..


अर्पित से नजर मिलते ही उसके दिल में हलचल सी होने लगी 

कहीं न कहीं अर्पित की नजरो ने उसके दिल में कुछ तो असर छोड़ा था ।


बस चलने लगी थी, और अर्पित हाथ हिला कर सबको बाए बोलने लगा ।


गजब कर दिया यार उस लड़के ने…  कितनी खूबसूरत तस्वीर बनाई है तेरी लगता है तेरा दीवाना हो गया है वो तो, सोनल की सहेली ने कोहनी मारते हुए उसे छेड़ा ।


पागल है क्या.. सबकी ही तस्वीर बनाई है उस ने तो और वो दीवाना हो या आशिक मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मेरे घर वालो ने बहुत मुश्किल से और भरोसा कर के मुझे यहां आने दिया है उनका भरोसा नहीं तोड़ सकती मैं…. सोनल अपनी सहेली से कम और खुद से ज्यादा बोल रही थी।

                                           

……….



देवाशीष घर से अभी हॉस्पिटल के लिए निकला ही था कि हॉस्पिटल से फोन आ गया, 


सर कहा है आप.. मिस रोज़ी की गंभीर आवाज़ सुनाई दी फ़ोन पर.. यहां एक इमरजेंसी आ गई है एक एक्सीडेंट केस है आपको तुरंत आना होगा।


मैं आ रहा हूं रास्ते में हूं तब तक आप मरीज को देखिए देवाशीष ने यह बोल फोन कट किया और गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी, अब उसको जल्दी पहुंचना था, डॉक्टर का यहीं तो फर्ज़ होता है वो खुद अपने किसी भी काम में बिजी हो लेकिन उसको सबसे पहले अपने पेसेंट को देखना होता है, 


लगभग 10 मिनट का रास्ता उसने 5 मिनट में ही तय कर लिया 

वो अंदर पहुंचा तो एक लड़की जो लेटी हुयी थी शायद बेहोश थीं अभी तक.. उस के सिर के घाव को साफ किया जा रहा था उसने देखा की यह तो वही लड़की लग रही है जो उस दिन ब्रैड ले कर भाग रही थी देवाशीष ने कपड़ों से पहचान लिया था,.. 


नर्स उसके मुंह के सामने थी और वो उसकी ड्रेसिंग कर रही थी, और दूसरी नर्स ने उसको पकड़ा हुआ था, जिससे वो उठ कर ना चली जाये.. देवाशीष उसका चेहरा नहीं देख पाया 


क्या कंडीशन है पेशेंट की?


डॉक्टर साहब अच्छा हुआ आप आ गए इस लड़की के सर और पैरों में काफ़ी ज्यादा चोट लगी है खून बहुत बह गया है, शायद ये किसी कार से टकराई हैं.. 

चेहरे की एक तरफ से भी काफ़ी खारोंच आये हैं, 


ठीक है हटो मुझे देखने दो… देवाशीष ने कहा और 

उस लड़की के सामने आ गया उसने देखा चेहरे पर नर्स ने पट्टी बाँध दी थी, जिससे सिर्फ आँखे और होंठ ही खुले हुवे थे, कार से जैसे टकराई होगी तब चेहरा एक तरफ से थोड़ा सा घिसत गया था इसलिए एक तरफ से बहुत सी खरोच थीं.. 


अरे, अरे टांगो पर काफ़ी चोट हैं, एक्सरे करना होगा और पहले ऑपरेशन थिएटर में ले कर चलो इसे, पहले देखना होगा, क्या इनके घर से कोई आया, 


देवाशीष ने कहा और बाहर निकल गया उसका दिल किसी अनहोनी से बहुत तेजी से धड़क रहा था पता नहीं क्यों कुछ अजीब सा अहसास उस पर फिर से हावी होने लगा था..


वो देख नहीं पाया था कि वो लड़की कौन थी फ़िर भी उसके दिल में दर्द हो रहा था जो पहले कम ही होता था किसी मरीज को देख कर… आखिर यह तो उसका काम था फिर ऐसा क्यों हुआ, दो मिनट के लिए देवाशीष की हिम्मत नहीं हुई कि वह उस लड़की का इलाज करे 


देवाशीष अपने केबिन में आगया, और बैठ कर पानी पीने लगा, वो जनता था अब तक पेशेंट ओं टी में पोहच चुकी होगी.. उसको अब जाना चाहिए..


तब ही देवाशीष को परेशान देख मिस रोज़ी केबिन में आई

क्या बात है डॉक्टर साहब ,,, आप ठीक तो हैं आप कहें तो डॉक्टर सुमित को बुलाऊं वो अभी हॉस्पिटल आए हैं मिस रोज़ी ने परेशान होते हुवे पूछा, वो देवाशीष को ऐसे परेशान देख कर आ गयी थीं..


नहीं कोई बात नहीं , मिस रोज़ी मैं ठीक हूं बस पता नहीं ऐसा लगा कि जैसे कोई अपना ही है..


आप चलिए मैं आता हूं…


थोड़ी देर अपने आप को संयमित कर देवाशीष ऑपरेशन थिएटर में आया और इलाज करने लगा उसने देखा कहीं और कोई ज्यादा चोट तो नहीं थीं, लेकिन पैर के उपर जो ज़ख़्म हुआ था वो थोड़ा ज्यादा था, उसके चेहरे पर नर्स ने पहले ही दवा लगा दी थी और चेहरा पूरा पट्टी में ढाका हुआ था, 


दो घंटे के दौरान कई बार देवाशीष को महसूस हुआ कि हो न हो वो इस लड़की को जानता है 


खून काफी बह गया था इसलिए उसकी जान को खतरा बना था, लेकिन अब वो लड़की खतरे से बाहर थी पर उसे होश आने में वक़्त लगने वाला था 


देवाशीष अपने केबिन में आकर पेशेंट देखने लगा था,..


लंच के दौरान देवशीष को याद आया के उस  लड़की को एक बार फिर से देखना है, उसने मिस रोज़ी को बुलाया और उनसे पूछा…. मिस रोज़ी पुलिस को इनफॉर्म किया कि नहीं आपने, इसके घर वालो के बारे में कुछ पता चला की नहीं ,,


मैने अभी फोन किया था इंस्पेक्टर सूरज तोमर को वो कुछ देर में आने वाले है यहां आ कर ही वो कुछ बता पाएंगे ।


हेल्लो, मिस्टर देवाशीष 

एक खूबसूरत नौजवान ने केबिन में एंट्री करते हुए कहा 


देवाशीष की आंखे अपने लैपटॉप पर जमी थी तो वो देख नहीं पाया और शायद सुन भी नहीं पाया था, 

कुछ जवाब न पा कर इंस्पेक्टर तोमर ने दुबारा थोड़ा और जोर से कहा 

हेल्लो डॉक्टर ......


ओह,, आइए आइए , इंस्पेक्टर साहब माफ़ कीजिए मेरा ध्यान कहीं और था..


कोई बात नहीं डॉक्टर साहब ऐसा हो जाता है कभी कभी आप बैठिए देवाशीष ने खाली पड़ी खुर्सी की तरफ इशारा किया 


जी शुक्रिया… बैठते हुए इंस्पेक्टर ने कहा 


तो बताइए सर आप क्या लेगे , चाय , कॉफी 


अभी ड्यूटी पर हूं तो सिर्फ पानी, हां दुबारा कभी आना हुआ तो चाय,.. वो क्या है ना जो बात अपनी देसी चाय में है वो बात कॉफी में कहा है 


यह तो सही कहा आपने.. देवशीष ने कहा, हालांकि वो खुद बस कॉफी लेता था, 


तो डॉक्टर साहब आज जो लड़की आपके हॉस्पिटल आई है आप जानते हैं कौन है वो ?

और कोई आया उसकी पूछताछ के लिए ?


नहीं ,अभी तक तो कोई आया नहीं, पर मुझे लगता है यह लड़की दिमाग से कुछ कमजोर है कुछ दिन पहले सड़क पर ब्रैड उठा कर भाग रही थी तब मेरी गाड़ी के सामने आने से बच गई थी हो सकता है अब भी ऐसा ही हुआ हो ,..


अभी उसका चेहरा भी जख्मी है तो किसी का पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा है । अभी वो बोलने की हालत में भी नहीं है होश में आने के बाद शायद कुछ पता चले, इंस्पेक्टर साहब आप भी देखना कहीं किसी लड़की के गुमशुदा होने की खबर हो तो, देवाशीष ने उनको बताया, 



हां मैं पता करवाता हूं… तब तक आप भी ध्यान रखना कोई आता है तो और मुझे खबर करना ।


दोनों की बातें चल ही रही थी कि मिस रोज़ी डाक्टर साहब को बुलाने आ गई..


ठीक है तो मैं चलता हूं.. इंस्पेक्टर तोमर ने कहा 


जी एक बार फिर शुक्रिया आपका यहां आने के लिए, देवाशीष ने कहा


अजी यह तो काम है अपना.. और यकीन करें मुझे खुद भी ख़ुशी होती है यहाँ आने में और आप सबसे मिलने में, इंस्पेक्टर तोमर ने मिस रोज़ी की तरफ सरसरी निगाहेँ डालते हुवे कहा था,..


मिस रोज़ी के माथे में बल पड़ गये थे.. इंस्पेक्टर तोमर ने जल्दी से हाथ मिलाया और मुस्कान के साथ बाहर निकल गए..


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6 Comments

Babita patel

07-Aug-2023 10:19 AM

Very nice

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RISHITA

06-Aug-2023 10:44 AM

Nice

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वानी

10-Jul-2023 11:28 PM

Nice

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