लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन
भाग : 30
अक्षत के यह कहने से कि वह पेन्टिंग्स बनाना नहीं जानता और उसने अनुपमा के अंगवस्त्रों को अपनी वार्डरोब में नहीं रखा है , से केस ने एक नया मोड़ ले लिया । सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी की सारी बहस इसी थ्यौरी पर आधारित थी कि अक्षत अनुपमा का बहुत बड़ा दीवाना था । उसने अपनी पेन्टिंग्स से अनुपमा के दिल में जगह बना ली और दोनों प्रेम के रंग में रंग गये । मगर अक्षत के इस कथन से यह थ्यौरी अंतिम सांसें लेती हुई दिखाई दी । अब समस्या यह थी कि अब यह पता लगाना था कि वो एल्बम किसने बनाया था और अनुपमा के अंगवस्त्र अक्षत की वार्डरोब में किसने रखे थे ?
हीरेन ने जज साहब से कहा "मी लॉर्ड ! अभी हम इस मुद्दे को एक तरफ रखते हैं कि वह एल्बम "माई फ़र्स्ट लव" किसने बनाया और अनुपमा के अंगवस्त्र किसने वहां रखे थे । अभी हम कुछ दूसरे बिन्दु लेते हैं जिनका अक्षत से संबंध है । मैं अब इस केस से जुड़े दूसरे बिन्दुओं पर अक्षत से पूछताछ करना चाहता हूं । इसके लिए मुझे अदालत की अनुमति चाहिए योर ऑनर" ।
जज साहब के पास और कोई विकल्प नहीं था इसलिए उन्होंने इसकी इजाजत दे दी । हीरेन पुन: अक्षत के पास पहुंचा और उसे जन्म प्रमाण पत्र दिखाता हुआ बोला
"इसे अच्छी तरह देखो और यह बताओ कि यह जन्म प्रमाण पत्र तुम्हारा ही है" ?
अक्षत ने उसे भली भांति देखा और कहा "यस सर, यह जन्म प्रमाण पत्र मेरा ही है" ।
"इसका मतलब यह हुआ कि 31 मई को तुम्हारा जन्म दिन था । क्या तुमने उस दिन अपना जन्म दिन मनाया था" ?
"जी, जज साहब"
"अभी थोड़ी देर पहले यह सिद्ध हो चुका है कि 31 मई को उस घर में न तो अनुपमा थी और न ही सक्षम था फिर तुमने अपना जन्म दिन किसके साथ मनाया था " ?
इस सवाल पर अक्षत खामोश हो गया । उसके खामोश होने से लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरने लगीं कि यह खामोश क्यों है ? हीरेन ने फिर से अपना प्रश्न दोहराया
"शायद आपने सुना नहीं जो मैंने पूछा था । तुमने अपना जन्म दिन किसके साथ मनाया था" ?
"अपनी गर्लफ्रेंड प्रिया के साथ" ।
अक्षत ने जैसे अदालत में बम फोड़ दिया था । अक्षत की कोई गर्लफ्रेंड भी है, यह अभी तक किसी को पता नहीं था । सरकारी वकील ने तो अनुपमा को ही उसका "पहला प्यार" घोषित कर दिया था । पर यहां तो खुद अक्षत कह रहा है कि उसकी एक गर्लफ्रेंड है जिसका नाम "प्रिया" है । मामला पेचीदा होता जा रहा था । हीरेन ने आगे पूछना शुरू कर दिया
"तुमने अपना जन्म दिन प्रिया के साथ कहां और कब मनाया था" ?
"अपने कमरे में और लगभग शाम के छ: सात बजे मनाया था"
"तो वो केक तुमने मंगवाया था ऑनलाइन ऑर्डर देकर" ?
"नहीं योर ऑनर । मुझे केक मंगवाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी क्योंकि प्रिया खुद केक लेकर आई थी" । एक से एक नये रहस्योद्घाटन होने से लोग दम साधकर सम्पूर्ण घटनाक्रम देखते रहने के लिए विवश थे । सबके मन में एक ही इच्छा थी कि इस केस में जल्दी खुलासा होना चाहिए कि कातिल था कौन ? पर यह केस तो जटिल से जटिलतर होता जा रहा है । यदि प्रिया केक लेकर आई थी तो फिर वह केक ऑनलाइन ऑर्डर से किसने मंगवाया था जिसे डिलीवरी मैन ने डिलीवर किया था ? उसमें से कुछ केक तो बच भी गया था जिसके फोटोग्राफ अदालत में मौजूद हैं । उसने वे फोटोग्राफ अक्षत को दिखाते हुए कहा "इन्हें गौर से देखो अक्षत, फिर बताओ कि क्या वह यही केक था" ?
अक्षत ने केक के सारे फोटोग्राफ देख डाले फिर कहने लगा "सॉरी जज साहब, ये वो केक नहीं है जिसे मैंने और प्रिया ने काटा था । वह केक तो हमने पूरा खा लिया था इसलिए बचा ही नहीं । जब केक बचा ही नहीं तो उसके फोटोग्राफ कहां से आऐंगे" ? अक्षत ने आश्चर्य से पूछा
पहेली और उलझ गई थी । यदि केक बचा ही नहीं तो फिर किचिन में रखा केक कहां से आया ? तब हीरेन को याद आया कि सरकारी वकील साहब ने एस एस टी बेकरी के रणदीप हुड्डा केक डिलीवरी मैन के बयान करवाये थे । अब उससे पूछने का वक्त आ गया है । हीरेन ने जज साहब से रणदीप हुड्डा से पूछताछ करने की इजाजत मांगी जो उन्हें मिल गई । रणदीप हुड्डा विटनेस बॉक्स में आ गया । हीरेन उससे पूछताछ करने लगा
"क्या आपने 31 मई को मकान नंबर 104, कस्तूरबा लेन, नोएडा में एक केक डिलीवर किया था" ?
"जी साब जी"
"कितने बजे डिलीवर किया था केक" ?
"रात के 10 बजे डिलीवर किया था"
"क्या इन बाबू मोशाय को केक डिलीवर किया था" ? हीरेन ने अक्षत की ओर इशारा करते हुए पूछा
रणदीप हुड्डा ने अक्षत को गौर से देखा और अपने दिमाग पर जोर देकर बोला "ये बाबूजी तो नहीं थे वे जिनको मैंने केक दिया था" ।
"यह तुम कैसे कह सकते हो कि वो ये बाबूजी नहीं थे" ?
"ये बाबूजी तो सफाचट हैं यानि कि इनके दाढी मूंछ नहीं है और उन बाबूजी के तो दाढी मूंछें दोनों थीं" ।
रणदीप हुड्डा की गवाही ने हलचल मचा दी थी । अक्षत ने न केक मंगवाया था और न ही रणदीप हुड्डा ने केक अक्षत को डिलीवर किया था । पर एक केक उस घर में जरूर आया था । फिर किसने मंगवाया था वह केक ? रहस्य और गहराता जा रहा था ।
हीरेन ने जज साहब से कहा "हुजूर , केस जलेबी की तरह टेढा होता जा रहा है । अब मैं पुन: अक्षत से पूछताछ करना चाहता हूं । कृपया इजाजत दें" । जज साहब ने उसे इजाजत दे दी ।
"अच्छा अक्षत ये बताओ कि तुमने अपना बर्थ डे कैसे सेलिब्रेट किया" ?
"हम दोनों ने मिलकर केक काटा फिर वह केक खाया । थोड़ी मस्ती की और फिर...."
"और फिर । फिर क्या बाबू मोशाय" ?
इस प्रश्न पर अक्षत चुप हो गया ।
"फिर क्या अक्षत बाबू ? अदालत को बताना होगा कि फिर क्या किया" ?
अक्षत ने शर्माते हुए धीरे से कहा "फिर हम दोनों ने सेक्स किया" । उसने अपना सिर नीचे कर लिया ।
ओह माई गॉड ! तो यह बात थी । तभी उस बैडशीट पर अक्षत के वीर्य के निशान थे जो जांच रिपोर्ट में पाये गये थे । हीरेन के दिमाग में कुछ प्रश्न उभरे
"तो क्या तुमने नीचे आकर अनुपमा के कमरे में सेक्स किया था" ?
"नहीं सर , हमने मेरे कमरे में ही किया था"
"कितने बजे की बात है यह" ?
"यही कोई आठ बजे के आसपास"
"तुम यह बात इतने विश्वास से कैसे कह सकते हो" ?
"क्योंकि मुझे अपना बर्थ डे मनाने जाना था होटल हिलटॉप में । नौ बजे पहुंचना था मुझे वहां ।
"बर्थ डे ? अभी तो तुमने कहा था कि तुमने अपना बर्थ डे तुम्हारी गर्लफ्रेंड प्रिया के साथ 'कुछ खास' करके मनाया था । तो फिर ये दुबारा बर्थ डे मनाने हिलटॉप क्यों जाना था" ?
"उस दिन मेरे बड़े भैया सौरभ आए हुए थे दिल्ली में और उन्होंने मुझे होटल हिलटॉप में बुला लिया था । वे मेरा बर्थ डे बड़ी धूमधाम से मनाना चाहते थे । इसलिए में अपने घर से लगभग साढे 8 बजे निकल गया था" ।
"तो क्या तुम 31 मई को सारी रात होटल हिलटॉप में रहे थे" ?
"नहीं योर ऑनर ! उस दिन हमारा मुकद्दर ही खराब था । भैया इधर से ही गुजर रहे थे तो उन्होंने मुझे भी अपने साथ अपनी गाड़ी में बैठा लिया था । हमारी टैक्सी मस्ती से चल रही थी कि अचानक सामने से एक ट्रक बहुत तेज स्पीड में बेकाबू सा हमारी ओर आया और हमारी टैक्सी को टक्कर मारता हुआ तेजी से निकल गया । हमारी टैक्सी उस टक्कर से पूरी तरह पलट गई और पास में बहने वाली एक नहर में गिर पड़ी । टैक्सी का ड्राइवर तो मौके पर ही मर गया था । लोगों ने हमें उस नहर से निकाला और हमें "सेवायतन अस्पताल" में पहुंचा दिया । हमारे फोन नहर में ही कहीं गिर पड़े थे । हमें तीन दिन बाद होश आया था" ।
हीरेन ने "सेवायतन अस्पताल" के सारे दस्तावेज अदालत को सौंप दिये जिनमें अक्षत और सौरभ के एडमिट होने और डिस्चार्ज होने की तिथि और समय दोनों अंकित थे । इसके अतिरिक्त उसने पुलिस रोजनामचे की एक कॉपी कोर्ट को सौंप दी जिसमें टैक्सी और ट्रक की टक्कर का वर्णन था ।
अक्षत की बात की पुष्टि करने के लिए हीरेन ने प्रिया को विटनेस बॉक्स में बुलाने की अदालत से इजाजत मांगी । अदालत ने उसे इजाजत दे दी । हीरेन प्रिया से पूछताछ करने लगा ।
"तुम्हारा नाम" ?
"प्रिया माथुर"
"अक्षत को कब से जानती हो" ?
"करीब तीन साल से"
"कैसे जानती हो" ?
"मेरी एक सहेली है आयशा । उसका भाई रोहन का दोस्त है अक्षत । उसी ने मेरी अक्षत से मुलाकात कराई थी"
"ये प्रेमालाप कब से चल रहा है" ?
"लगभग एक साल से" प्रिया ने शरमाते हुए कहा ।
"31 मई को तुम कहां थीं" ?
"31 मई को अक्षत का बर्थ डे था । उस दिन को अक्षत बहुत अच्छे से सेलिब्रेट करना चाहता था । उसने मुझे फोन करके कहा कि आज घर में कोई नहीं है इसलिए हम दोनों मेरे बर्थ डे को खूब सेलिब्रेट करेंगे । मैं एक छोटा सा केक लेकर उसके पास उसके नोएडा स्थित घर चली गई और फिर हमने अक्षत का बर्थ डे सेलिब्रेट किया" ।
"क्या वैसे ही जैसे अक्षत ने कहा था" ? हीरेन प्रिया की आंखों में झांकते हुए बोला । इस प्रश्न पर प्रिया चुप रह गई
"क्या वैसे ही सेलिब्रेट किया था जैसा अक्षत बता रहा है" ?
"जी , साहब" प्रिया ने धीरे से स्वीकार कर लिया ।
"वहां से तुम लोग बाहर कब निकले" ?
"रात के लगभग साढे आठ बजे । मैं एक टैक्सी से अपने घर आ गई और अक्षत अपने भैया के साथ होटल हिलटॉप चले गये" ।
"फिर क्या हुआ" ?
"1 जून को मैंने अक्षत को फोन किया लेकिन वह स्विच्ड ऑफ बता रहा था । मैंने दो तीन बार फोन किया लेकिन हर बार स्विच्ड ऑफ आया । फिर अखबार में न्यूज चैनल्स पर एक कत्ल की कहानी चलने लगी जिसमें अक्षत का नाम भी आने लगा । मैं बहुत डर गई थी और अक्षत से मिलना चाहती थी पर उसका कोई पता नहीं चल रहा था । पुलिस इसमें प्रेम प्रसंग बता रही थी । जब अनुपमा भाभी और अक्षत की "रासलीला" वाली खबरें चलने लगी तो मुझे अक्षत पर बहुत गुस्सा आया था । मुझे नहीं पता था कि अक्षत इतना गिरा हुआ होगा ? लेकिन जब बैडशीट पर अक्षत के तरल पदार्थ के निशान जांच रिपोर्ट में पाये गये तो मुझे लगा कि अक्षत को शायद फंसाया जा रहा है क्योंकि पुलिस अनुपमा भाभी और अक्षत के बीच "सेक्स" बता रही थी पर हकीकत तो यह थी कि वह काम हम दोनों ने किया था । तब पहली बार मेरे मन ने कहा कि एक बार अक्षत से मिल लेना चाहिए । तब मैं जेल में अक्षत से मिलने गई और उसने मेरी कसम खाकर कहा कि मैं बेकसूर हूं । उसकी आंखों में सच्चाई थी । तब मैंने उसका साथ देने का निर्णय कर लिया"
"तुम क्या समझती हो कि अक्षत अनुपमा से प्रेम करता है" ?
"कैसी बेहूदी बातें कर रहे हैं आप ? अक्षत मुझसे प्रेम करता है । अनुपमा भाभी की तो वह बहुत इज्ज़त करता है । जब कभी वह मुझसे मिलता है तो वह हमेशा अनुपमा भाभी की प्रशंसा के कसीदे काढा करता है । कहता है कि "भाभी ऐसी हैं, भाभी वैसी हैं । मेरा बहुत ध्यान रखती हैं वगैरह वगैरह" । अनुपमा भाभी से अक्षत की प्रेम की बातें कोरी बकवास हैं और कुछ नहीं" । प्रिया के चेहरे पर अक्षत के लिए पूर्ण विश्वास झलक रहा था ।
अब तो पुलिस और सरकारी वकील की सारी बहस ही ध्वस्त हो गई थी । प्रिया ने जिस बेकरी से केक लिया था उसका बिल भी उसने दिखा दिया था । अब शक की कोई गुंजाइश नहीं बची थी ।
श्री हरि
21.6.2023
Gunjan Kamal
24-Jun-2023 12:10 AM
👏👌
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Jun-2023 10:02 AM
🙏🙏
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Varsha_Upadhyay
23-Jun-2023 02:49 PM
बहुत खूब
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
23-Jun-2023 08:54 PM
🙏🙏
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Punam verma
22-Jun-2023 09:01 AM
Very nice
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
22-Jun-2023 10:07 AM
🙏🙏
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