लेखनी प्रतियोगिता -24-Jun-2023 "कितने टुकड़े होंगे मेरे"
"कब तक टुकड़ों में बटुंगी मैं"
साँसें मेरी घुट रही है। और टुकड़ों में मैं बट रही आत्मा तड़प के बस मेरी यहीं सवाल कह रही है कोई इस जहाँ इंसाफ़ मुझे दिला सकें .....!!
हैवानियत है सवार प्रेम का है ये कैसा जाल
प्रेम के नाम पर टुकड़े टुकड़े हो रही
क्या मेरी वफाओं का मुझे सिला ये मिला
मेरी ही देह का क़तरा कतरा चीख़ कर हैं पूछ रहा....!!
होंगे मेरे कब तक बेरहमी से टुकड़े यहाँ
क्या दहलेगा कभी किसी का हृदय यहाँ
खून से लथपथ देह के रिसते ये घाव यहाँ
तड़प तड़प के कर रही सबसे सवाल टुकड़ो में बंटी मैं यहाँ....!!
आत्मा का मिरी हाल क्या कर दिया
मुझको ही मेरे किए पर
उसने तार-तार कर दिया
जिसके लिए छोड़ा जहां
उसी ने कितने ही टुकड़ों में मुझको बांट दिया....!!
क्या भरोसे की यह सजा है यहां
मेरी निश्चलता का मोल यह लगा है यहाँ
संहार मेरा ऐसा देख कर
सर जमीं भी आहत हो रही यहां....!!
कब तक मेरी रूह को
ऐसे ही ठगा जाएगा
दिखाकर ख्वाब चरागों के
मुझे अंधेरों में झोंक दिया जाएगा....!!
स्त्री होने का इस संसार में
मुझे कदम कदम पर ठगा जाएगा
मासूमियत का कब तलक
इम्तिहान यूं ही लिया जाएगा....!!
है सोचने की बात यहीं
क्यों नहीं समझ रहा
व्यक्ति अपने इस विकार को
है कौन सी ऐसी विकृति
जो जघन्य कृत्य कर वो बैठता ...!!
खाये थे कसमे वादे जिसके संग एक होने के
और किया था वादा संग चलने का आख़िर तक
उसी को अनगिनत टुकड़ों में बांट दिया
हाय आत्मा को तूने अपनी कैसे मार दिया.....!!
मधु गुप्ता "अपराजिता "
Anjali korde
21-Jul-2023 11:02 AM
Very nice
Reply
Madhu Gupta "अपराजिता"
21-Jul-2023 11:24 AM
Thank you so much🙏🙏
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Jun-2023 08:15 AM
बहुत ही सुंदर और मार्मिक अभिव्यक्ति
Reply
Madhu Gupta "अपराजिता"
25-Jun-2023 08:28 AM
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार🙏🙏
Reply
Gunjan Kamal
25-Jun-2023 08:05 AM
बहुत खूब
Reply
Madhu Gupta "अपराजिता"
25-Jun-2023 08:29 AM
बहुत बहुत शुक्रिया और आभार🙏🙏
Reply