जुदाई
सब्जी मंडी में सुरेखा को मोहल्ले की शीला मिल गईं ,यथा नाम तथा गुण,शील उनके स्वभाव से झलकता था ,मोहल्ले में हर कोई उनके सामने पड़ना नहीं चाहता था ,कब क्या किसको कह दें पता नहीं।
सुरेखा उसे अनदेखा कर आगे बढ़ गई,लेकिन शीला भी गजब की ढीठ सुरेखा के सामने ही पड़ गई और हंसते हुए कहा_
अरे सुरेखा अपना प्रिंस शादी लायक हो गया है ,तुझे शादी नहीं करनी क्या ?
"कोई ढंग की लड़की मिले तो करूं"_सुरेखा ने शीला की बात टालते हुए कहा ,उसे पता था कि शीला व्यंग बोल रही थी ।
जल्दी से उससे पीछा छुड़ाते सुरेखा घर पहुंची।
आज तो उसके तेवर बहुत गरम थे ,प्रिंस के पिता पर पिल पड़ी ,आंखें तरेरते हुए कहा _क्यों जी क्या हमारा प्रिंस यूं ही कुंवारा रहेगा।
राजेश जी ने हंसते हुए कहा _क्यों क्या हुआ ,आज बहुत गर्मी थी क्या सब्जी मंडी में।
तुम्हें हंसी छूट रही है ,तुम्हें क्या पता हमारे पीठ पीछे लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं कि ,इनके निठल्ले लड़के को लड़की कौन देगा ,न शक्ल न सूरत उपर से आवारागर्दी में अव्वल ।
तो क्या करूं ,सच ही तो कहते हैं,राजेश जी ने कहा।
सुरेखा के ममता पर चोट लगते ममता फुंफकार उठी ,_क्या कमी है अपने प्रिंस में माना पढ़ने में कमजोर था ,उसकी संगत अच्छे लड़कों के साथ नहीं रही,तो क्या तुम उसपर कोई जिम्मेदारी नहीं डाल सकते ,कोई रुपए पैसे की कमी थी क्या ?
अच्छा और तुम उसपर ध्यान नहीं दे सकती थी ,तुम्हारे लाड़ प्यार ने उसे बिगाड़ कर रख दिया।
हां हां मेरी ही तो सब गलती है ,सुरेखा ने अपना अंतिम अस्त्र फेंक दिया ,आंखों में भर भर के आंसू आने लगे।
तब तक प्रिंस घर में आ गया _" क्या हो रहा मम्मी पापा ,आप लोग किस बात पर लड़ रहे हो।
तुम्हीं हो इन सबके जिम्मेदार _,सुरेखा चिल्ला उठी।
मैं_ प्रिंस बोला।
और क्या ,पढ़ाई लिखाई करते तो अभी तक कहीं नौकरी करते होते ,लड़कियों की लाइन लगी होती ,पूरे मोहल्ले में लोग मजाक उड़ा रहे_सुरेखा जी ने कहा।
कल से ही तू कहीं नौकरी खोज ,ताकि लड़की वालों को हम कह तो सकें कि ये निठल्ला नहीं है।
प्रिंस के पापा कल अखबार में इश्तहार छपवाने के लिए दे दीजिएगा।
अच्छा_राजेश जी ने हामी भरी।
प्रिंस अपने कमरे में जा चुका था ,प्रिंस का दिमाग बहुत तेज था लेकिन उसकी संगति गलत थी।
राजेश जी ने कहा क्या लिखूं बहू कैसी चाहिए।
सुनिए लिखिए
सुंदर ,सुशील,गृह कार्य दक्ष,मृदुभाषी,गोरी,सर्वगुणसंपन्न वधू चाहिए ।
राजेश जी को हंसी आ गई,सुरेखा ताड़ गई ,_क्यों जी क्या बात है?
कुछ नहीं_राजेश जी बात टालते हुए बोले ।
बताइए .......।सुरेखा जिद करने लगी।
आखिर राजेश जी ने कहा _मुझे समझ में नहीं आता कि लड़के में 50 अवगुण होने के बावजूद ,लोगों को लड़कियां सर्वगुणसंपन्न ही चाहिए होती है।
क्या कोई सर्वगुणसंपन्न होता है ।
तुम्हारे घर वालों ने भी शादी के वक्त बताया था कि तुम सर्वगुणसंपन्न हो ,मृदुभाषी हो,पर मुझे तो शादी के इतने साल हो गए तुम शुरू से मुझे ज्वालामुखी ही लगी।
सुरेखा गुस्से से आग बबूला हो गई _हां मैं तो कर्कशा हूं ,तुम्हारे परिवार को बरबाद कर गई।
अरे ऐसा नहीं बोला भागवान ,मुझसे गलती हो गई ,तुम तो मेरे दिल की रानी हो_राजेश जी ने हथियार डाल दिए ,इससे पहले भूकंप आता ,मामले को रफा दफा कर दिया।
अगले दिन अखबार में इश्तहार था ,सर्वगुणसंपन्न लड़की का।
पता नहीं प्रिंस को कौन सी लड़की मिलती है ,जो कि खुद किसी गुण से संपन्न नहीं था ,जो जो लड़की में गुण चाहिए थे उसमें उस के उल्टे गुण थे।
आखिरकार उन्हें अपने बहन की दूर की रिश्तेदार की बेटी मिल ही गई श्वेता ।
सुंदर ,सुशील संस्कारी थी श्वेता ,आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बड़ी मुश्किल से खर्च चल पाता था ।किसी तरह 10 वीं पास होने के बाद ,आगे की पढ़ाई के लिए उसे शहर जाना होता लेकिन उसके लिए ये संभव नहीं था। माता पिता ने कुछ दिन के बाद श्वेता के लिए रिश्ता देखना शुरू किया ।हर जगह दहेज का दानव मुंह बाए खड़ा हो जाता ।
आखिरकार प्रिंस की मौसी ने प्रिंस का रिश्ता उसके माता पिता को बताया।
दोनों तरफ से अपनी अपनी मजबूरियां थी ,इसीलिए किसी को कोई शिकायत नहीं थी ।धूमधाम से प्रिंस और श्वेता की शादी हो गई।
अब मोहल्ले की महिलाओं का मुंह बंद हो चुका था।श्वेता ने अपने सौम्य व्यवहार से सुरेखा और राजेश जी का दिल जीत लिया था।प्रिंस में ज्यादा सुधार नहीं हुआ था।
सुरेखा और राजेश जी ने श्वेता को पढ़ाने का फैसला किया।श्वेता ने अपनी पढ़ाई शुरू की और बीतते समय के साथ वो आगे बढ़ने लगी।अब तो प्रिंस के दोस्त और भी फब्तियां कसने लगे इसका परिणाम प्रिंस घर आकर श्वेता को भला बुरा कहता,लेकिन मम्मी पापा हमेशा श्वेता का ही पक्ष लेते। श्वेता प्रिंस के बुरा भला कहने के बाद भी उसका ख्याल रखती ,उसे कुछ भला बुरा न कहती,लेकिन दोनों में बातचीत लगभग बंद ही थी।दोनों एक छत के नीचे अजनबी थे।
श्वेता ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी शुरू की और उसकी मेहनत रंग लाई और उसका सिलेक्शन हो गया,और उसे दूसरे शहर में जिलाधिकारी नियुक्त किया गया।सुरेखा खुशी से दौड़ दौड़ मोहल्ले में मिठाई बांट रही थी।श्वेता उसके लिए बहू नही बेटी थी।श्वेता के जिद करने पर सास ससुर उसके साथ सरकारी बंगले में रहने चले गए ,जबकि श्वेता ने प्रिंस को एक बार भी साथ चलने को नहीं कहा।
प्रिंस अकेला रह गया,अब दोस्त भी छूट गए क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं हमें न श्वेता गिरफ्तार करवा दे। समय काटने को दौड़ रहा था।माता पिता ने साफ कह दिया था "तुमसे हमारा तब तक कोई वास्ता नहीं ,जब तक तू लायक नहीं बन जाता ।"
लोग अब उसे ताने देते। उसे हर पल श्वेता की याद आती ,वो सोचने लगा जब वो बाहर से आता तो श्वेता उसके लिए पानी लेकर खड़ी रहती।शराब के नशे में लड़खड़ाता घर आता तो उसे संभाल बिस्तर पर लिटाती उसके जूते खोलती।कितना ध्यान रखती थी ,लेकिन उसने उसे क्या दिया सिर्फ गाली।प्यार के दो बोल भी कभी नहीं बोले।उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था।
आज वो निश्चय करके निकला था कि वो श्वेता से माफी मांग कर नए सिरे से अपने जीवन की शुरुवात करेगा । अपना कोई बिजनेस शुरू करेगा।
वो घर से निकला तो था ,नई शुरुवात के लिए लेकिन पता नहीं उसका मिलन नियति को मंजूर नहीं था।एक तेज रफ्तार से आती हुई ट्रक ने उसकी बाइक में टक्कर मार दी,और उसकी इहलीला मिनटों में समाप्त हो गई।
जब श्वेता,सुरेखा और राजेश जी को उसके मौत की खबर मिली तो उनके ऊपर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। आखिरकार वो उनका बेटा और किसी का पति था।
दोनों की जुदाई ईश्वर ने इस तरह लिखी थी ,ये श्वेता के लिए आत्मसात करना अत्यंत कठिन था।
समय हर गम का मलहम है।श्वेता पर सुरेखा ने दोबारा शादी करने का कई बार दबाव बनाया लेकिन वो नहीं मानी।अब तीनों ही एक दूसरे के दुख सुख के साथी थे।
समाप्त
HARSHADA GOSAVI
05-Jul-2023 10:16 AM
nice
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Sangeeta singh
10-Jul-2023 06:30 AM
धन्यवाद
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Abhilasha Deshpande
28-Jun-2023 03:42 AM
Very nice
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Sangeeta singh
28-Jun-2023 01:52 PM
Thanks
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Shnaya
27-Jun-2023 06:05 PM
Nice one
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Sangeeta singh
28-Jun-2023 01:52 PM
Thanks
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