Add To collaction

ईद

ईद
होली-ईद-दीवाली तीनों,
होतीं प्रेम -पियाली।
प्रेम-पाग का रस पी के-
जन गाएँ फ़ाग-कौव्वाली।।सभी पैग़ामे मोहब्ब्त-सभी पैग़ामे मोहब्ब्त।।
     होली के सब रंग निराले,
     खेलें संग सेवइयाँ वाले।
     दीवाली का दीप जला कर-
      घर-आँगन में करें उजाले।।
करें सब ग़म को रुख़सत-सभी पैग़ामे मोहब्ब्त।।
      भात-भोज-उत्सव-पर्वों पर,
      सब मिल कर नाचें-गाएँ।      
      मिल कर दोनों मुल्ला-पण्डित-
      रचि-रचि भोग लगाएँ।।
धर्म की अद्भुत सोहबत-यही पैग़ामे मोहब्ब्त।।
      
 नंदन-क्रंदन दोनों में भी,
      रहें सभी सहभागी।
      चलें क़दम से क़दम मिला कर-
      बीतराग-अनुरागी।।
नहीं लें काम से मोहलत।।सभी पैग़ामे मोहब्ब्त।।
      होते फूल गोया बहुरंगी,
     पर रहता एक चमन है।
     भाँति-भाँति की खुशबू ले के-
     देता शांति-अमन है।।
चमन में ग़ज़ब की क़ुव्वत-यही पैग़ामे मोहब्ब्त।।
    अम्बर की महफ़िल सजती है,
     सूरज-चाँद-सितारों से।
     गौरव-गरिमा मुल्क़ की बढ़ती-
     छोटे-बड़ किरदारों से।।
बढ़ाएँ सभी हैं शोहरत-यही पैग़ामे मोहब्ब्त।।
                     ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

   22
7 Comments

बेहतरीन भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Varsha_Upadhyay

29-Jun-2023 05:00 PM

शानदार

Reply

सुंदरतम अभिव्यक्ति।

Reply