हाफ गर्लफ्रेंड
का एक लेटर था। वह मुझसे एक बड़ी टिप भी चाहता था!
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'है, उसकी आवाज से मैं चौका। मैं कॉलेज के नोटिस बोर्ड को पढ़ रहा था।
मैंने मुड़कर देखा। मैंने दुआ की थी कि ऐसा ही हो। मेरी उससे एक बार फिर मुलाकात हो चुकी थी।
उसने ब्लैक स्किन टाइट जींस और ब्लैक एंड व्हाइट रिटुड टी-शर्ट पहन रखी थी। कोर्ट पर उसके चेहरे पर जो
पसीना और लालिमा थी, उसके बिना उसके चेहरे पर एक रौनक नजर आ रही थी। उसने पिंक लिप ग्लॉस लगा रखा
था और उसके होंठों पर छोटे-छोटे कतरे चमक रहे थे। कुछ-कुछ लहराते हुए उसके बाल उसकी कमर तक जा रहे थे।
मेरा कलेजा मानो मुँह को आ गया। "रिया,' उसने कहा 'तुम्हें बाद तो है ना?"
मैं भला कैसे भूल सकता था।
मैं उसे बताना चाहता था कि दिल्ली से लौटकर आने के बाद मैंने एक पल के लिए भी उसे नहीं भुलाया। मैं उससे कहना चाहता था कि मैंने अपनी जिंदगी में उससे खूबसूरत कोई और लड़की नहीं देखी। और मैं उसे यह बताना चाहता था कि मेरे फेफड़ों को होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई अभी थम गई है।
'ऑफ कोर्स, मैंने कहा 'मुझे खुशी है कि तुमने भी ज्वाइन कर लिया।'
'एक्चुअली, मैं तो श्योर नहीं थी, उसने कहा और नोटिस बोर्ड की ओर इशारा किया। क्या यह फर्स्ट ईयर का टाइम टेबल है?"
मैंने हामी भरी। वह एक बार फिर मुस्करा दी।
'तुम्हारा कोर्स क्या है, उसने नोटिस बोर्ड पर नजरें हटाए बिना पूछा।
'सोशियोलॉजी, मैंने कहा।
'ओह, इंटेलेक्चुअल, ' उसने कहा।
मुझे पता नहीं, इसका मतलब क्या था। लेकिन इतना कहकर वह हँस पड़ी और मैं भी यह सोचकर उसके साथ फर्स्ट ईयर के सभी स्टूडेंट्स के नाम और उनके रोल नंबर लिखे थे। "और तुम्हारा?" मैंने कहा। वह बोर्ड की ओर देख रही थी, इसलिए मैंने अपनी पीली टी-शर्ट और जींस को
हँस दिया कि शायद उसने कोई मजेदार बात कही है। नोटिस बोर्ड पर कुछ और स्टेपल्ड शीट्स भी थीं, जिन पर
एडजस्ट किया। मैंने सेंट स्टीफेंस के लिए पटना से नए कपड़े खरीदे थे। अब मैं किसी सरकारी दफ्तर का क्लर्क नहीं नजर आ रहा था। मैं अपने नए कॉलेज में फिट लगना चाहता था।
'इंग्लिश' उसने कहा 'देखो, ये रहा मेरा नाम।' वहाँ लिखा था रिया सोमानी, इंग्लिश (ऑनर्स)। मेरा दिल बैठ गया। इंग्लिश में डिग्री करने वाली एक लड़की मेरे जैसे देहाती भोंदू से कभी दोस्ती नहीं करेगी।
उसका फोन बजा। उसने अपनी जींस की पर्किट से अपना नोकिया का बेहतरीन इंस्ट्रूमेंट निकाला। 'हाय, मॉम' उसने कहा। फिर वह हिंदी में बोलने लगी, 'हाँ, मैं पहुँच गई है। हाँ, सब ठीक है, बस में कॉलेज को
समझने की कोशिश कर रही हैं।" उसकी हिंदी मेरे कानों को म्यूजिक की तरह लगी। इसका यह मतलब था कि मैं उससे बातें कर सकता था। उसने एक मिनट और बात की और जब उसने फोन रखा तो पाया कि मैं उसकी ओर देख रहा हूँ।
'मॉम्स यू नो' उसने कहा।
येस यू स्पीक हिंदी ?"
वह हंस पड़ी। तुम बार-बार मुझसे यही सवाल पूछते रहते हो। ऑफ कोर्स, मैं हिंदी बोल लेती हूँ। व्हाय?" 'माई इंग्लिश इज नॉट गुड, मैंने कहा और फिर हिंदी में बोलने लगा, 'क्या मैं आपसे हिंदी में बातें कर सकता
जरूरी बात यह है कि हम क्या कहते हैं, यह नहीं कि हम किस लैंग्वेज में कहते हैं, उसने कहा और मुस्करा दी। कुछ लोग कहते हैं कि कोई एक खास लम्हा होता है, जब हमें किसी से प्यार हो जाता है। पहले मुझे पता नहीं