Add To collaction

कृष्ण

त्रिपदी
कृष्ण

सदा प्रेयसी तुम्हें बुलाती
 नित्य प्रीति के गीत सुनाती 
भजन कृष्ण के मन से गाती।

घन बनकर तुम बरसो प्रियवर
शुष्क धरा अब ताके अंबर
प्रेम-सुधा से भर दो उर-घर।

प्रीति तुम्हारी लगती कंचन
 तुमसे जुड़ा युगों का बंधन
 करती हरक्षण प्रभु का वंदन।

हे माधव अब तो आ जाओ
प्यासे मन की तृषा मिटाओ
मुरली की धुन आज सुनाओ।

अंक -पाश में चाहूँ सोना
प्रेम फसल हिय में तुम बोना
दीप्तिमान तुमसे हर कोना।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

   13
4 Comments

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

Reply

Reena yadav

04-Jul-2023 03:58 PM

👍👍

Reply