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परदेशिया

परदेशिया मेरा दिल ए दीवाणा तेरे प्यार दा ए,
तू हरजाई कदे हाल नहीं पुछदा इस बीमार दा ए।

मैथो किथे दूर जा के बस गिया तू सजणा,
मुड़ आता नाईयो ना मैनू तू निहार दा ए।

दस कि केहो जहि ख़ता मैथो हो गई ए सजणा,
ना तू मिलण आता ना बिखरे बाल सवारता ए।

अंख पथरां दी हो गई उडीक दे तैनू,
तुइयों दस की सिला मेरे इन्तिज़ार दा ए।

मैं तैनू प्यार करना तां नहीं छड़ सकती आं,
मोहोब्बत ता खेल सारा ऐतबार दा ए।

हुण तू छेती आजा परदेश रहण वालेया,
"निक्क" सारा जग मैनू कमली जहे ताने मार दा ए।


स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल"
भोपाल (मध्यप्रदेश)
दिनाँक : 07  जुलाई 2023©

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10 Comments

खूबसूरत भाव

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nikksinghnikhil

08-Jul-2023 12:47 PM

जी धन्यवाद

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Abhinav ji

08-Jul-2023 08:55 AM

Very nice 👍

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nikksinghnikhil

08-Jul-2023 12:46 PM

Thank you

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Punam verma

08-Jul-2023 07:43 AM

Very nice

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nikksinghnikhil

08-Jul-2023 12:46 PM

Thank you

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