स्वैच्छिक विषय ,विरहा की बरसात
विषय _विरहा की बरसात
शीर्षक_ काली घटा
विधा_ कविता
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विरहा की बरसात में सजन याद आते हो,किस तरह भूलेगा दिल उनका ख्याल आता है ।
भुला नही सकता कभी दिल उनका ख्याल आता रहा ।
ए घटा काली घटा तू अब के बरस फिर न बरस ।
मेरे दिलबर को अभी परदेश है भाया हुआ ।
चल जहां से दूर बुल बुल मिलके रोए साथ साथ ।
उनका दिल भी चोट है मेरी तरह टूटा हुआ ।
खुश रहे दुनिया में बो जिसने कि तोड़ा दिल मेरा ।
दे रहा है ये दुआ आंखों से अश्क आया हुआ ।
विरहा की बरसात में दिल बार बार रोए प्रिय की याद में।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Alka jain
08-Jul-2023 09:54 PM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Jul-2023 07:32 AM
सुन्दर सृजन
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Reena yadav
08-Jul-2023 07:22 AM
👍👍
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