यादें

मेरी आँखों में बसी हैं 

बीते लम्हों की मीठी यादें 
खुशियों से ये याद कर 
आँखें झट से भर आये,
वो बचपन गुजरा था 
जो घर के आंगन में 
बारिश में मैं भीगा करती थी 
जिसमें वो सावन बरसता था,
याद आई मुझे माँ ने थी 
जों सीख सिखलाई थी,
उम्र छोटी थी पर सपने बड़े 
हम देखा करते थे,
हम तो बस खिलौनों 
पर ही मरा करते थे,
जब देखा मैंने वो 
बचपन का खजाना,
किताब, कलम और स्याही
वो मीठी यादें ताजा हुई,
याद आया मुझे भाइयों के संग 
झगड़ना शैतानियाँ कर के 
माँ के दामन से जा लिपटना,
साथ ही याद आई वो बातें
जो पिता ने थी समझाई,
आज तन्हाई में जब वो 
मासूम बचपन नजर आया है,
ऐसा लगता है जैसे
खुशियों ने कोई गीत गुनगुनाया है
पर जब दिखा सच्चाई का आइना
तो फिर हुयी रुसवाई
न फिर रोके रुकी ये आँखें
और झट से भर आयीं....

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8 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Alka jain

08-Jul-2023 09:53 PM

Nice

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Mukesh Duhan

08-Jul-2023 07:06 PM

Nice ji

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