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13. दिल-ए-नादाँ तुझे

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*दिल-ए-नादाँ तुझे*
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
सोचता हूँ  ये  माजरा  क्या  है।

चैन इक पल कहीं नहीं मिलता,
आपको पर अभी पता क्या है।

जब से देखा है इक खुमारी है,
उनके आगे ये सब नशा क्या है।

उनको देखे से चैन मिलता है,
वर्ना फिर और वास्ता क्या है।

लग के सीने से सुनिए आप मेरे,
आती दिल से मेरे सदा क्या है।

छोड़ आया कहीं मैं हूँ खुद को,
रोज़ कहता ये आईना क्या है।

फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807

# आधे अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां 

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1 Comments

बहुत ही सुंदर

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