Navanita

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नैन मेरे तरसे

नैन  मेरे तरसे


चकोर मन हुआ अब तो तेरे दरस को तरसे मेरे नैन,
जब तू दूर हुआ ,तब से खो गए मेरे दिन रात के चैन |
अब तो कटती नही तेरे बिन मेरे दिन -रैन,
आ जाओ लौटकर , लौटा दो मेरी वो खुशियाँ सारी,
तुझपे मैने जीवन अपना वारी है |
विरहा की अग्नि में कब तक जलूँ मै,
तुझसे दूर कब तक रहूँ मैं |
तेरे बिन बरसते है मेरे नैन अब तो दिन-रैन,
तेरे बिन तरसे मेरे नैन |
वक्त ने ये कैसा सितम किया है,
तुझसे दूर रहने का जुलम किया है |
प्रियतम मेरे, तुझसे ही मेरे दमकते साज-श्रृंगार है,
तू ही मेरे जीने का आधार है ,
तेरे बिना सबकुछ बेकार है ,
इतना गहरा तेरा-मेरा प्यार है|
तेरे प्यार में इतना असर है कि मैं इतिहास लिख दूँ,
तू दिन को रात कहे तो मैं हँसकर सबकुछ सह लूँ |
तुझसे मिलने को तड़पे मेरे नैन,
तेरे बिन एेसे तरसे मेरे नैन ||



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2 Comments

Niraj Pandey

11-Oct-2021 12:06 AM

बहुत खूब

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Swati chourasia

10-Oct-2021 08:14 PM

Very nice 👌

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