हवा का झोंका
हवा का झोंका
मचल जरा बहल जरा
तू गिर के फिर संभल जरा
हवा का झोंका तो कुदरत का उपहार है
यह स्थिर कहां रह पाएगा
दिल से तुम हंसना सीखो
हंसी ही तनाव की अचूक दवा है।
जब हवा की झोंका आती है
तब प्रकृति तो हंसती ही है
सूरज भी मुस्कुराता है
चांद अपनी छटा दिखाकर
फूला नहीं समाता है।
जब हवा का झोंका आती है
तब रूठों न कभी प्रकृति से
हंसी खुशी से सामना करों
कहीं छलक न पाए अश्रु की धारा आंखों से।
जब हवा का झोंका बहुत भारी हो
तो स्मरण करों नाम प्रभु जी का
गम भी कहें कि कहां आ गए है
सारा संसार है खुशियों का।
सुर दुर्लभ ये तन मिला है हमें
डरना नही है हवा के झोंको से
हवा का झोंका में इतनी औकात नहीं है कि
वो पांव को हमारे जकड़ सकें।
हवा का झोंका का वंदन अभिनंदन करें
ये तो कुदरत का उपहार है
खुशियों से भरा हुआ हो मानव जीवन
यही तो हमारा उद्देश्य है।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
16-Jul-2023 01:15 AM
👌👏
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Varsha_Upadhyay
15-Jul-2023 07:33 PM
बहुत खूब
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Alka jain
15-Jul-2023 11:26 AM
Nice 👍🏼
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