सब्सिडी
सब्सिडी
सोने की चिड़िया
भारत
सुना था मैंने
देखता हूं
गरीबी बेरोजगारी लाचारी
जय जवान
कोई शक नहीं
जय किसान
कैसे कहूं
आत्महत्या करते
कर्ज में मरते
कम पैदावार थी
सो जाते
कम खाते
हरित क्रांति आई
खेतों की रौनक बढ़ाई
आया पैसा पनपा लालच
पड़ी लत नशे की
गवाने लगे
सेहत अपनी कमाई
लगे कारखाने
शुरुआती दौर में
खूब मिला रोजगार
मिट गया
हथकरघा कुटीर उद्योग
गुम हुए बर्तन माटी के
आया प्लास्टिक का सामान
सस्ता था
असर हुआ खतरनाक
बढ़ी बेरोजगारी
हताशा में
पहुंचे सरकार के दरबार
सुअवसर था
बोट बनाने का
नेताओं ने
पकड़ा दी बैसाखी
सब्सिडी रखा नाम
जनता हुई निहाल
छूटी आदत मेहनत की
वीरान हुए खेत खलिहान
लगने लगी लाइनें
राशन डिपो के बाहर
मिलने लगे
6000 मुफ्त के
आधे किराए पर
मिले मजे सफर के
मुफ्त इलाज बच्चों की पढ़ाई
भले चंगे को
थमा दी बैसाखियां
सब्सिडी की
सो रुपए की चीज
40 में देगी सरकार
बाकी स 60आएंगे कहां से
किया न किसीने विचार
जेब हमारी ही कटेगी
श्रीमान
मुफ्त के 15 लाख आए नहीं
किस काम की सरकार
दीमक है यह
खतरनाक बीमारी है
निज स्वार्थ की खातिर
बिक मत जाना
डर है
तिल तिल को
मोहताज मत हो जाना
सब्सिडी की खातिर
सोने की चिड़िया
बन न जाए धूल की पुड़िया
बन न जाए धूल की पुड़िया
मौलिक रचना
उदय वीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 9418187726
Gunjan Kamal
19-Jul-2023 03:32 AM
👌👏
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Varsha_Upadhyay
18-Jul-2023 10:02 PM
Nice
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madhura
18-Jul-2023 09:35 AM
सची बात
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