Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय इंद्रधनुष

विषय_इंद्रधनुष
शीर्षक_रंगों की महिमा
विधा_कविता
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 इंद्र धनुष सा, मेरा मन है ,कितना
 सुन्दर ये जीवन है।
एक रंग बिखरा अंबर पर,एक जमीं के बिखरा तन है।

रंग भरता है जब अंग-अंग,सबका जीवन रंगीन बना देता।
मदमस्त कर सबको मस्ती में,अपने रंग में भिगो देता ।

मानव जिंदगी में ,सप्तरंगी जीवन जीने का हुनर सीखता है ।
सफल हो जाता जीवन उसका ,तब इंद्रधनुष कहलाने लगता ।

सरिता की दुनिया है निराली ,उसको कुछ न आता है ।
सारे जग में बहते रहना और प्यार फैलाना है।

इंद्रधनुष के रंगों जैसा जीवन सबका गर हो जाता ।
सबको ख़ुशियाँ अपार मिलती ,मंत्र-मुग्ध मन हो जाता ।

तन को देखो मन को देखो ,देखो तुम संसार को ।
एक नजर से सबको देखो, प्रेम प्रीत और प्यार से ।


हरेक रंग की महिमा सुन्दर निर्मल अलग निराली है।
श्वेत  शान्ति का  खुशहाली का हरियाली है।
 
सुन्दरता द्योतक गुलाब का,केसरिया वीरता वाला है।
पीताम्बर है शगुन उपासक,बसंती त्याग संभाला है।

 रंगों की महिमा  मनमोहक, कैसे हम  गुणगान करे।
मानव जीवन हमें मिला दिल से सबका सम्मान करें।

सरिता बहके पथ अपना के मंजिल अपनी पाती है।
हरिगुण गाकर मन  हर्षा कर,गीत खुशी के गाती है।

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर

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3 Comments

Gunjan Kamal

19-Jul-2023 03:30 AM

👌👏

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Reena yadav

18-Jul-2023 10:28 PM

👍👍

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Varsha_Upadhyay

18-Jul-2023 10:12 PM

Nice 👍🏼

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