कांवड़िया
चल कावडिया , चल कांवडिया।
भोले के द्वारे चल कांवरिया।
बर्फ में भी आकार है लेता,जग में निराकार रहता।
सच्ची भक्ति से दिख जाता,बिना भाव भोला बिक जाता।
जग में कोई साथ ना होता, बाबा हाथ थाम ही लेता।
जल से ही बस खुश हो जाता ऐसा है वह मेरा बाबा।
चल कांवरिया चल कांवडिया
भोले के द्वारे चले कांवडिया।
मन के भीतर खोज मिला है,स्वयं बचाने हमें खड़ा है।
अपनी कृपा जिस पर कर दे,तूफानों में पार लगा
विपदा से हर कोई घबराए,मेरा बाबा मुझे बचाएं।
प्रीत मेरे मन में समाए,भक्ति से बेड़ा पार लगाए।
चल कांवरिया चल कांवडिया भोले के द्वारे चले कांवडिया।
जतन से तू तो चलता जा, भोले भोले रटता जा,
दोनों हाथ खोल कर देता सपने सब के पूरे करता।
भोले भोले रटता जा द्वारे उसके चलता जा।
चल कांवडिया चल कांवडिया भोले के द्वारे चले कांवडिया।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Gunjan Kamal
19-Jul-2023 03:25 AM
👏👌
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Reena yadav
18-Jul-2023 10:33 PM
👍👍
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Varsha_Upadhyay
18-Jul-2023 10:08 PM
V nice
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