आराधना
आराधना
कोई हो मेरे जज्बातों का कद्रदान,
तो कोई हो मेरी दुर्बलताओं पर मेहरबान |
मुझे रहे अपनी सीमाओं का ध्यान,
करूँ मैं जनहित का सदा ही कल्याण |
मेरे हर कार्यो में हो जीवंत प्राण ,
हर पल जानू, किस हार में कितना सुख-दुःख पिरोना है |
कितना दुःख पाना है, कितने सुख से हाथ धोना है |
अपनी कामयाबी का प्रभु मुझे ना गुमान रहे ,
मुझे अपनी संस्कार का ध्यान रहे,
कोई हो मेरे भावो का कद्रदान,
तो कोई दे मेरे हर घावों को सम्मान ||
मुझमें घमंड की भावना जड़ा ना हो,
जो मेरे जमीर से बड़ा ना हो ,
जो किसी से सहा ना जाए |
जो मुझको बहका ना पाए |
कंधों पर जिम्मेवारी का बोझ हो |
धरती पर किसी के प्रति ना क्रोध हो,
मुझे अपनो का ध्यान हो ,
जिसमें जन के सपनो का कल्याण हो |
कोई बने दु.:खहरण जिसको सारी दुनिया अपने ह्दय में दे शरण,
इस भाव से जुड़ा मेरा आन-बान-शानहो ,
लोगो के ह्दय से फूटे नित यही गान |
यही है प्रभु आपसे प्रार्थना,
इन्हीं चंद लब्जों में जुड़ी है मेरी आराधना ||
Gunjan Kamal
12-Oct-2021 02:03 PM
वाह मैम बहुत खूब👏👏🙏🏻
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Kavita Gautam
12-Oct-2021 12:22 PM
बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌
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Niraj Pandey
12-Oct-2021 07:40 AM
वाह बहुत खूब
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