भारत
भारत
पुनः विश्व-गुरु बनेगा भारत,
सबने लोहा मान लिया।
उत्तर-दक्षिण,पूरब-पश्चिम,
सबने अब पहचान लिया।।
विश्व एक परिवार सनातन,
धर्म हमारा कहता है।
परदुख-पीड़ा, अपनी पीड़ा,
मान पूण्य यह सहता है।
पा अनुपम संदेश विश्व ने-
पुनः इसे सम्मान दिया।।सबने अब पहचान लिया।।
युद्ध एक अभिशाप-विनाशक,
ऐसा अपना चिंतन है।
संरक्षण-कल्याण जगत का,
अद्वितीय यह दर्शन है।
पुरा काल में ऋषि-सन्तों ने-
ऐसा ज्ञान प्रदान किया।।सबने अब पहचान लिया।।
बूँद-बूँद जल स्वच्छ संचयन,
विकट समस्या भारी है।
मौसम में बदलाव अटपटा,
देता बहु दुश्वारी है।
ऐसा कर उद्घोष राष्ट्र ने-
जग को इक अभियान दिया।।सबने अब पहचान लिया।।
गया ज़माना पॉलिथीन का,
आबो-हवा अब शुद्ध करो।
अपने ही हाथों से मित्रों,
प्रगति-प्रवाह न रुद्ध करो।
वर्तमान नायक कह ऐसा-
जन-मानस को ज्ञान दिया।।सबने अब पहचान लिया।।
देता अगर पड़ोसी धमकी,
ऐटम-बॉम्ब-मिसाइल का।
पहले कहना नम्र भाव से,
हल यह नहीं मसाइल का।
करो नाश,फिर करे शरारत-
यह संदेश महान दिया।।सबने अब पहचान लिया।।
करो अंत आतंकवाद का,
जो मानवता का दुश्मन है।
इसे मिटाओ सब जन मिल कर,
मात्र यही खर-दूषण है।
पश्चिम में अनमोल घोष कर-
नायक जन-कल्यान किया।।सबने अब पहचान लिया।।
सबने लोहा मान लिया।।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
Milind salve
19-Jul-2023 01:52 PM
Nice
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राजीव भारती
19-Jul-2023 12:40 PM
जी अतिशय सुंदर, संदेशप्रद रचना।
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