Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय चिलमन



चिलमन खुला रखना तुझे वो प्यार करने आ रहा, 
ज़ुल्फ़ें खुली रखना तेरा शृंगार करने आ रहा।

तेरी करेगा पूर्ण वो सब चाहतें  अर राहतें 
चूनर तिरी को रात कल ही तार करने आ रहा।

देगा नहीं वो दर्द ज़्यादा, डर नहीं ओ बावरी, 
धीरे चलाकर नाव नदिया पार करने आ रहा।

हैं दो तरह के दर्द क्या तू जानती यह भी नहीं, 
मीठे शहद सा दर्द दे मनुहार करने आ रहा।

हर इक कली सजदा करे रो रो मरे हर रोज़ ही, 
भ्रमर नया कब किस समय  गल हार करने आ रहा।

आगोश में तुझको बिठा वो प्यार देगा रात भर, 
कैसी करो हो बात क्या वो  रार करने आ रहा?

वो जानता है हर सलीका इश्क़ करने का सही,
वो वस्ल करने या तिरा सत्कार करने आ रहा

मिलते रहें हैं साल कितने क्या बताऊँ मैं सखी, 
करता रहा अभिलाज जो हर बार करने आ रहा।

सुन

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1 Comments

Khushbu

19-Jul-2023 08:41 PM

Nice

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