स्वैच्छिक विषय चिलमन
चिलमन खुला रखना तुझे वो प्यार करने आ रहा,
ज़ुल्फ़ें खुली रखना तेरा शृंगार करने आ रहा।
तेरी करेगा पूर्ण वो सब चाहतें अर राहतें
चूनर तिरी को रात कल ही तार करने आ रहा।
देगा नहीं वो दर्द ज़्यादा, डर नहीं ओ बावरी,
धीरे चलाकर नाव नदिया पार करने आ रहा।
हैं दो तरह के दर्द क्या तू जानती यह भी नहीं,
मीठे शहद सा दर्द दे मनुहार करने आ रहा।
हर इक कली सजदा करे रो रो मरे हर रोज़ ही,
भ्रमर नया कब किस समय गल हार करने आ रहा।
आगोश में तुझको बिठा वो प्यार देगा रात भर,
कैसी करो हो बात क्या वो रार करने आ रहा?
वो जानता है हर सलीका इश्क़ करने का सही,
वो वस्ल करने या तिरा सत्कार करने आ रहा
मिलते रहें हैं साल कितने क्या बताऊँ मैं सखी,
करता रहा अभिलाज जो हर बार करने आ रहा।
सुन
Khushbu
19-Jul-2023 08:41 PM
Nice
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