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प्रतियोगिता # "दूर देश से"

लोरी
मात्रा भार16/14
शीर्षक-दूर देश से

दूर देश से आ जाओ तुम,मेरी परियों की रानी।
आकर मुझको आज सुना दो ,मधुरिम सी वही कहानी।

जिसमें हों किस्से चंदा के, तारों की हों सब बातें।
बादल के टुकड़े हों थोड़े,थोड़ी सुख की बरसातें।।
थोड़ा थोड़ा माँगूँ सब कुछ, मैं नहीं माँगती ज़्यादा,
थोड़ी सी हो हँसी प्रीति की, थोड़ा नयनों का पानी।
दूर देश से आ जाओ तुम, मेरी परियों की रानी।।

मन की खिड़की आज खोलकर, मैं राह तुम्हारी देखूँ।
जब-जब जीवन मावस देखूँ, उसमें उजियारी देखूँ।।
आओगी तुम श्वेत वसन में, ऐसी मेरी है आशा।
कर दोगी मेरे मन के इस, मरुथल को भी फिर धानी।
दूर देश से आ जाओ तुम,मेरी परियों की रानी।।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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6 Comments

Abhinav ji

21-Jul-2023 09:07 AM

Very nice 👍

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Gunjan Kamal

20-Jul-2023 10:56 PM

ब बहुत सुंदर

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Zakirhusain Abbas Chougule

20-Jul-2023 10:26 PM

Nice

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