कविता
भजन मां जगदंबा शेरों वाली का-----
मैया तू मेरी चित चोर
तेरे सिवाय न कोई और
मैं पतंग तेरे हाथ में मेरी डोर।।
जय जगदंबे मैया,जय जगदंबे मैया जय जय।।
तू ममतामई प्रेम की मूरत
हर दुखिया को तेरी जरूरत
फिर क्यों ना देखे मेरी ओर
जय जगदंबे मैया जय जगदंबे-------१
मन मोहिनी तेरा रूप निराला
घट में खप्पर है नयन बिशाला
तुम दुष्टों को संहारती पुरजोर।।
जय जगदंबे मैया जय जगदंबे मैया--------२
मित्रो----जय माता दी 🙏🙏🌹🌹👍👍
**रामसेवक गुप्ता**
Jayasingh
13-Oct-2021 05:11 AM
Sunnnndar
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Ramsewak gupta
13-Oct-2021 03:26 PM
सधन्यवाद जी
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Ankit Raj
12-Oct-2021 04:58 PM
शुक्रिया जी
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 09:50 PM
Thanks for comment
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Ramsewak gupta
13-Oct-2021 03:31 PM
शुक्रिया जी
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Niraj Pandey
12-Oct-2021 09:59 AM
जय हो🙏
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 10:33 AM
Very thankful
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