बीवी
बीवी
बीवी खूब सताती है
चैन नहीं फर्माती है।
ना जीती ना जीने देती,
व्रत रखकर मरने ना देती ।
कौन घड़ी में पढ़ा था पाला,
सात फेरों के चक्कर में डाला।
नींद चैन सब था भरमाया,
जरा भी उसको समझ ना आया।
फरमाइश होती रहती हर पल,
अंत नहीं होता किसी क्षण।
जो भी रोज कमाता हूं,
दिन रात खर्च वह करती है,
अमेजॉन फ्लिपकार्ट से
शॉपिंग बहुत करती है।
बात समझ ना पाया आज तक
भूल ना पाया उस दिन को अब तक
सजा उसी की भुगत रहा हूँ।
डायमंड नेकलेस खरीद रहा हूं।
विनती करूं अब तो तुम छोड़ो,
बात बात पर यूं ना अकड़ो।
हरदम तुम ना मुझ पर बिगड़ो
कर्ज के भारी बोझ ने सताया,
देखो मैंने आफत को बुलाया,
अपनी-अपनी वह ही करती
मेरी बात जरा ना सुनती।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Abhinav ji
21-Jul-2023 08:53 AM
Nice 👍
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