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डोली-अर्थी

डोली-अर्थी
बने नहीं डोली की अर्थी,
ऐसा सतत प्रयास रहे।
पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
बना यही विश्वास रहे।।

मिथ्या प्रेमी जाल बिछा कर,
अब संबंध बनाते हैं।
नाम-धर्म का कर परिवर्तन,
झूठा व्याह रचाते हैं।
ये कुरूप संबंध सदा ही,
बने कपट के वास रहे।।
     पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
      बना यही विश्वास रहे।।

प्रथम चरण जीवन का सूचक,
डोली भरी उमंगों से।
सागर जैसा जोश लिए यह,
उमड़े सदा तरंगों से।
टेढ़े-मेढ़े दुर्गम पथ पर,
हमराही यह खास रहे।।
       पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
        बना यही विश्वास रहे।।

जीवन की अंतिम यात्रा का,
है पड़ाव अर्थी हिस्सा।
डोली-अर्थी दोनों मिलकर,
रचें सदा जीवन-किस्सा।
समय-समय पर उभय पक्ष का,
बना स्वच्छ इतिहास रहे।।
       पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
        बना यही विश्वास रहे।।

मानव-जीवन दुर्लभ होता,
देव तरसते रहते हैं।
कभी-कभी पर मानव बनकर,
ये आ जग में बसते हैं।
इनसे सीखें प्रेम-सूत्र को,
मन में ऐसी आस रहे।।
      पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
       बना यही विश्वास रहे।।
                  ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                       9919446372

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6 Comments

अद्भुत सृजन

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बहुत ही सुंदर रचना👌👌👌

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Abhinav ji

22-Jul-2023 09:22 AM

Very nice 👍

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