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प्रतियोगिता# चौड़ी छाती देखकर

चौड़ी छाती देखकर
 दोहे
वियोग रस

 चौड़ी छाती देखकर ,धरिणी गिरती मात।
पूत बड़ा ही वीर था ,मृत अब जिसका गात।।

भार्या मूर्छित हो रही, देख वीर का खून।
 चौड़ी छाती शीश धर,पाती सहज सुकून।।

 भगिनी रोती चीखकर,मृतक भ्रात की देह।
देख कलाई शौर्य की, बरसे असुअन मेह।।

 सुता हुई बेहाल है, देख पिता का रूप ।
कौन बनेगा छाँव अब, जब आएगी धूप।।

 बाप देहरी बैठकर,हुआ आज है मौन।
यह अर्थी है वीर की, रोयेगा प्रभु कौन।।

गाँव समूचा रो रहा, हर आँगन में शोक।
चौड़ी छाती देखकर, अरि पग लेता रोक।।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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