जब अकेला रहा तो उसकी याद आई
जब अकेला रहा तो उसकी याद आई ।
फिर सुबह कभी ना उसके बाद आई।।
रंजो गम ने हमें तोड़ डाला कतरा कतरा ,
जोड़ने के लिए न कहीं से इमदाद आई ।
हमने तो जीते जी उसे ही लिखा था,
मेरे मरने के बाद उसकी दाद आई।
जिस गुलशन को वफाओं से संवारा था,
तेरी जफ़ाएँ कर उसे बर्बाद आई।
हर तरकीब अपनाकर देख ली प्रीति,
वह मुस्कुराहट लब पर न फिर शाद आई।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 08:58 PM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Varsha_Upadhyay
22-Jul-2023 07:02 PM
बहुत खूब
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