एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है
एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है।
सब रिश्तों को नेह तुला में साधती वह हिंदी है।।
हिंदी है जन-जन की भाषा, सुगम सरल है यह बोली।
हिंदी के शब्दों ने मन में मधुर चाशनी सी घोली।
दो हृदयों की खाई को सहज लाँघती वह हिंदी है।
एक डोर में सबको जो है बांधती वह हिंदी है।।
हिंदी करती अलंकरण जब अक्षर पुष्पों से खिलते।
भावों की डोरी से जुड़कर ,दो मन इक होकर मिलते।
ईश मुदित करने को बनती आरती वह हिंदी है।
एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है।
प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 09:01 PM
Beautiful
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Varsha_Upadhyay
22-Jul-2023 07:31 PM
बहुत खूब
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