Add To collaction

22. रंग चढ़ा है इश्क़ का

*आधे-अधूरे मिसरे-22*
-------------------------------
*रंग चढ़ा है इश्क़ का*
=============

रंग चढ़ा है इश्क़ का या खुमारी छाई है।
ये सनम तू ही है या तुझ सी कोई परछाई है।

दिल में इक तुफ़ान सा मौसम मुसलसल बन रहा।
छत पे देखा चांद सा कोई ले रहा अंगड़ाई है।

तेरे बिन ये बारिशें हमको जलाती है सनम,
लगता है बूंदें नही कुछ आग सी बरसाई है।

जो तुम्हारी बात का करता नही कुछ ऐतबार,
क्या समझते हो वो मानेंगे क़सम जो खाई है।

अपने हक़ का मिल के रहता चाहे कोई कुछ करें,
हमने भी अपने किए की कम सज़ा कब पाई है।

फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_9807
@⁨आलिया खान लेखनी से⁩

   9
4 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

Reply

Gunjan Kamal

28-Jul-2023 07:21 AM

👏👌

Reply

Milind salve

25-Jul-2023 04:13 AM

Nice 👌

Reply