Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय कवि का कर्म

विषय _कवि का कर्म 
शीर्षक_कर्म 
विधा_कविता
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कवि का कर्म है संसार को,उत्तम सृजन देना।
दुःखी कोई हो कांटों से,उसे सुंदर सुमन देना।

कवि का कर्म होता है,नई एक खोज करना ।कविता अभिव्यक्त करने की कला में निखरना ।

कवि का कर्म ,अर्थहीन दुनियां को अर्थ देना है ।उसे शब्दहीन को सार्थक शब्द देना है।

कवि जीवन बड़े जतन से ,मिलता नही है सबको।जब दुनियां में देखे दर्द  ,वही कविता बनती है।

करो सब लोग कवि का सम्मान ,बो जीवन बदल देता है ।परिभाषा को सार्थक कर ,कविता की सरिता बहाता है।

बुराई जो छिपी संसार में,,,,, वह दूर कैसे हो,
बने संसार का माली,सुखद सुन्दर चमन देना।

दिशा शासन को देना,चापलूसी है नहीं करना,
सही मार्ग स्वयं चलके सदा शुभ आचरन देना।

करें जो आचरण अच्छा उसे सबको बताना है,
गलत कर्मो में रहते लिप्त,तू उनको दमन देना।

कभी भी अर्थ के खातिर सृजन बिकने नहीं पाए,
सृजन हो राष्ट्रहित में,सबको तू सुंदर वतन देना।

कोई भी लक्ष्य सुन्दर ले नहाने सरिता में आए,
उसे दे ताजगी गंगा सी,तन-मन को पवन देना।

सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर

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3 Comments

सुन्दर अति सुन्दर सृजन

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Khushbu

25-Jul-2023 03:49 AM

Nice

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Reena yadav

24-Jul-2023 10:04 PM

👍👍

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