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23. किसी सुबह को शाम

23. 
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*किसी सुबह को शाम*
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किसी सुबह को शाम बना दे पगली।
फुरसत के तू पल को सजा दे पगली।

अब तेरे बिना हर पल मुश्किल,
ख़ुद को ये ज़रा समझा दे पगली।

गर इश्क़ है तो खुल कर कह दे,
ना ख़ुद को कोई तू सज़ा दे पगली।

हर कोई यहां तुझ जैसा नहीं,
तू दिल को अपने बता दे पगली।

तुझे मांग लूं अब किस्मत से ज़रा,
मुझे पहले तो घर का पता दे पगली।

फ़राज़ (क़लमदराज़)
S.N.Siddiqui
@seen_९८०७

# आधे अधूरे मिसरे / प्रसिद्ध पंक्तियां 

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2 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

28-Jul-2023 08:14 AM

👏👌

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