कविता
आदिशक्ति------
छन्द----
अम्बा तुम दुर्गा तुम कालिका भवानी तुम ।
तुम ही हमारे घोर पातक की हारिन हो।।
आदिशक्ति कात्यायनी कालरात्रि महागौरी।
पुत्र हम एक तुम अनेक रुप धारिन हो।।१
ममतामई, करूणामई दुष्टों का संहार करती ।
लोगों को दिलाती सुख दुःख की निवारिण हो।।
प्रेम हार गले में दीप शांति का जलाके चली।
मंदिर में श्रंद्धा की तुम ही पुजारिन हो।।२
महाकाली भैरवी महालक्ष्मी महामाया देवी ।
कोप के समय मानो जहर की पिटारिन हो।।
जीवन की डोर मेरी हाथों में है तेरे माता ।
** सेवक**शरण तुम वक्त की बलिहारिन हो।।३
जय माता दी
**रामसेवक गुप्ता**
ऋषभ दिव्येन्द्र
12-Oct-2021 06:15 PM
वाह....वाह....वाह👌👌👌👌
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 09:47 PM
Thanks
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Mukesh Duhan
12-Oct-2021 03:58 PM
बहुत सुंदर जी
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 09:48 PM
Thanks you
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 09:58 PM
Thanks for like comments
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Swati chourasia
12-Oct-2021 03:21 PM
Very beautiful 👌
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Ramsewak gupta
12-Oct-2021 10:00 PM
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
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