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लेखनी प्रतियोगिता -26-Jul-2023

#शीर्षक:- कौन समझेगा वेदना मेरी?

आज मैं गहरी सोच में पड़ गयी हूँ,
कौन सी वेदना लिखूॅ?
कौन सी छोड़ दूॅ ?
कब तक का बताऊँ?
कब तक का भूल जाऊँ ?
हाँ दुर्गा हूँ, सरस्वती भी,
अष्टभुजाधारी! रूपवती भी!
माया हूँ!
या प्रतिछाया ?
रंगीन बनूँ ?
या रंगबिहीन काया ?
सुख-दुःख के ताने-बाने से रंगी,
हूँ सबके घरों की चादर बहुरंगी,
सहनशील, सुशील, सुशोभित....
मोती की माला जैसी,
जब चाहो दरिन्दगी कर लो ??
पी जाओ हाला जैसी ?
वात्सल्य की मूरत हूँ ,
बुढ़ापे में वृद्धाश्रम मेरा घर !
कौन समझेगा ?
मेरे असहनीय वेदना का दर्द ?
रोज मरती हूँ,
फिर पुनः जीवित करती चेतना,
कैसे बयां करूँ?
मैं नारी की वेदना |

रचना मौलिक,अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिक सुरक्षित है|

"प्रतिभा पाण्डेय" चेन्नई
26/7/2023

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5 Comments

Abhinav ji

27-Jul-2023 08:57 AM

Very nice 👍

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Gunjan Kamal

27-Jul-2023 05:46 AM

बेहतरीन

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Anjali korde

26-Jul-2023 07:53 PM

Very nice

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