Sapna shah

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कविता




श्याम सी  सख्त ना कभी मैं बन सकीं 
 सिर्फ राधा बन के कभी ना मैं रह सकीं 

प्यार की मिसाल देखो फिर भी बन गए
श्याम से लिपट कर ना जी भर मैं रो सकीं 

हैं इम्तिहान कैसा ए अजीब जिंदगी का 
तेरी हो कर भी तेरी ना मैं कभी हो सकीं 

निभा रहे हैं कैसा दस्तूर दुनिया में सभी
प्यार को प्यार से ना कभी पुकार मैं सकीं 

मुक्कमल नहीं होता है सच्चा इश्क कभी 
दिल की धड़कनों को मैं ए ना समझा सकीं 

सपना शाह ✍️

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4 Comments

Sapna shah

27-Jul-2023 02:57 PM

Thanks all

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

27-Jul-2023 05:35 AM

बहुत खूब

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