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प्रतियोगिता# नज़र का टीका

नज़र का टीका

सनम कभी नजर का टीका लगाया कर ।
पर्दा हटा चाँद को जमीन पर लाया कर।

 तुझे देखने को तरसते हैं फरिश्ते भी,
अपना चेहरा कभी तो नुमाया कर।

मैं देर से जल रहा हूँ इश्क की आग में 
 मेरे ऊपर भी जुल्फों का साया कर ।

मैंने कई बार जाहिर की है  मोहब्बत, 
कभी तू भी तो अपना इश्क़ दिखाया कर।

 मेरे सपनों में हर रोज आ जाती है तू,
 कभी तू भी मुझे यादों में लाया कर।

 तेरी जुदाई में  गाता हूँ नगमे रात दिन
 तू भी मेरे लिए कभी गुनगुनाया कर।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।

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6 Comments

बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Reena yadav

27-Jul-2023 05:30 PM

👍👍

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Khushbu

27-Jul-2023 04:58 PM

Nice

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