जय गजबदन खड़ानन माता ।जगत जननी दामिनी दुति गाता।।
नहि तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ भेदु नहि जाना।।
भव भव विभव पराभव करिनी। विश्व विमोहिनी स्वबस बिहारिनि।।
सेवत तोहि सुलभ फल चारी । बरदायिनी पुरारि पिआरी।।
देवी पूजी पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथु जानहु नीके। बसहु सदा उर पुर सबही के।।
किनेहू प्रगट न कारण तेही। अस कहीं चरण गए वैदेही।।
विनय प्रेम बस भई भवानी ।सखी माल मुरती मुस्कानी ।।
सादर शियप्रसाद सिर धरहु।बोली गौरी हरशु हिय भरेऊ।।
सुन सिय सत्य असीस हमारी। पूजिही मन कामना तुम्हारी।।
नारद वचन सदा सुची सांचा ।सो बरु मिलीहि जाही मनु राचा।।
Seema Priyadarshini sahay
10-Nov-2021 05:34 PM
बहुत खूबसूरत
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Ramsewak gupta
20-Oct-2021 11:41 AM
बहुत खूब लिखा है
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Jayasingh
14-Oct-2021 05:46 PM
Thanks to all
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