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हादसा

धांय.. धांय…. दो गोलियाँ श्वान के अंदर पैवस्त हो गईं। उसने छटपटा कर वहीं दम तोड़ दिया। बाहर चबूतरे पर खून ही खून बिखर गया।

सभी एकदम सकते में आ गए। कोई कुछ समझ पाता या रोक पाता तब तक गोलियाँ चल चुकी थीं। श्वान जमीन पर तड़प कर मौत के करीब जा रहा था। खुशी और नाच-गाने पर ब्रेक लग गया!!


बात अस्सी के दशक की है। एक पटवारी जी थे। नाम था मंगल कुमार जैन। उनकी औलादें 8 लड़के और 4 लड़कियाँ। एक छोटे लड़के को छोड़कर सबकी शादी हो चुकी थी। दो लड़के बाहर नौकरी करते। बाकी 6 और उनके बच्चे एक ही घर में रहते। उसके अलावा नौकर भी रहते जो गाय भैंसों की देखभाल करते। एक ही चूल्हे पर खाना पकता। हर वक्त चूल्हे पर कुछ न कुछ पकता रहता। सुबह का काम समाप्त न हो पाता शाम के खाने की तैयारी शुरु हो जाती। बहुएँ बारी-बारी से खाना पकाती रहतीं। पटवारी जी की पत्नी दोपहर भर गेंहूँ, चावल, चना, बाजरा पिसाने के लिए साफ करती रहती। हर रोज अनाज पिसाना पड़ता। हर वक्त घर में चीख चिल्लाहट। उस दौरान प्रचलित आधुनिक सुविधाओं में सुसज्जित बहुत बड़ा घर एक गली से प्रवेश करो दूसरी गली से जाकर निकल जाओ।

सभी पढ़े-लिखे, फैशनेबल, आजाद ख्यालों के, आपस में सौहार्द और स्नेह से परिपूर्ण।


पटवारी जी का रिटायर्मेंट हुआ। सभी रिश्तेदार, बहन, भांजी-भांजे, बेटे-बहू, बेटी-दामाद, नाती-पोते सभी एकत्रित हुए। घर में बहुत भीड़ हो गई।

सभी मौज मस्ती और आनंद में समय व्यतीत कर रहे थे। धूमधाम से पार्टी आयोजित की गई। मुहल्ले भर को दावत दी गई। हंसी-खुशी, नाच-गाना चलता रहा। 


पटवारी जी का दूसरे नम्बर का बेटा जो कि फोरेस्ट अधिकारी था। पत्नी बच्चों सहित कार्यक्रम में शामिल होने आया था, थककर दोपहर को बाहर की बैठक में आकर सो गया। अचानक उसकी नींद कुत्ते के भौंकते से खुल गई। उसने कुत्ते का नाम पुकार कर टाॅमी चुप! टाॅमी चुप! कहा। टाॅमी चुप हो गया फिर तुरंत ही भौंकने लगा। उसने उसे फिर चुप कराने का प्रयास किया किन्तु टाॅमी चुप नहीं हुआ।

पालतू कुत्ते टाॅमी की इस हरकत से फोरेस्ट अधिकारी बेटा इतना तिलमिला गया और गुस्से में भर गया कि बैठक में टंगी दुनाली उतार कर धांय.. धांय…गोली चला दी!!

गोली चलाने के बाद फोरेस्ट अधिकारी बेटा किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा रह गया!!

अन्य भाइयों ने खींच कर उसे कमरे में बैठाया, उसे शान्त किया। उसकी इस हरकत पर सभी आश्चर्यचकित थे!!

वह पागल और विक्षिप्त भी नहीं था, फिर भी इतनी सनक कि कुत्ते को गोली मार दी!!

आनन-फानन में घर के पिछवाड़े कुत्ते को दफनाया गया। नौकर ने हादसे के स्थान पर पड़े खून के दाग-धब्बे साफ कर दिए। मुहल्ले के लोग भी दहशत में थे कि कैसे कोई निरीह, बेजुबान, पालतू जानवर को गोली मार सकता है??

गुस्से और सनक की हद होती है। ये तो किसी को भी गोली मार सकता है!!


खुशी का माहौल गम में बदल चुका था। पटवारी जी ने अपने बहू-बेटे से कहा, "वह इसी वक्त अपने परिवार सहित नौकरी पर वापस लौट जाए।।"

धन्यवाद 🙏🙏


स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"

धौलपुर (राजस्थान)

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4 Comments

madhura

29-Sep-2023 07:09 AM

Fabulous story

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Reena yadav

30-Jul-2023 12:39 AM

👍👍

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Saroj Verma

29-Jul-2023 10:59 PM

Very nice,किसी बेजुबान को गोली मार दी,ये बहुत ही ग़लत किया फारेस्ट आफिसर ने,

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