रिश्ते
दिनांक 13/06/2023
रिश्ते
रिश्ते नाते भूल रहे हैं ,
स्वार्थ की रिश्तेदारी।
लाभ हानि से बंधे हुए हैं ,
यही मनुज की हुशियारी ।
धन दौलत सब मात-पिता है ,
धन ही के रिश्ते नाते ।
प्रेमभाव को भूल गए सब ,
धन वालों के गाना गाते ।
धनाभाव में ना कोई पूछे ,
ना रिश्ते जोड़े जाते ।
मान पान सब सूना होता ,
अनजान लोग सब बतलाते ।
रिश्ता निभता उन लोगों का,
मौसा मौसी या साला ।
धन संपन्न लोग जो होते ,
या होती सुंदर बाला ।
स्वरचित
डॉ रामभरोसा पटेल "अनजान"
छतरपुर म प्र
Shashank मणि Yadava 'सनम'
31-Jul-2023 07:13 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Alka jain
31-Jul-2023 12:38 AM
Nice
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Varsha_Upadhyay
30-Jul-2023 10:54 PM
बहुत खूब
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