आदमी
आदमी
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सारी धरा पर घूमते दो पैर के हैं जानवर
जान का जो वरण करते होते वही हैं जानवर
सब जानवरों से शक्ति शाली होते हैं ये जानवर
हर लोक में हैं प्रलय करते दो पैर के ये जानवर
देव,दानव,ईश का ये रुप रखते हैं सदा
दानवों का नाश करने नरपशु भी बनते यदा कदा
शक्ति कम होती है इनमें पर ज्ञान का भंडार है
बुद्धि और विवेक में इनका ना पारावार है
हर लोक में इनका रहा है सदा अधिकार है
इनकी रचना में स्वयं इनका ही अधिकार है
इस जानवर से धरा के सब जानवर डरते सदा
शक्ति शाली होके भी बस में हैं इनके सदा